झारखंड: आचार्य प्रसन्न सागर का महापारणा कार्यक्रम, बाबा रामदेव और नेपाल के MP हुए शामिल

झारखंड: आचार्य प्रसन्न सागर का महापारणा कार्यक्रम, बाबा रामदेव और नेपाल के MP हुए शामिल

GIRIDIH: गिरिडीह स्थित मधुबन फुटबॉल मैदान में शनिवार को महापारणा कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। इस मौके पर 557 दिनों से तीर्थराज सम्मेद शिखर (पारसनाथ) में सिंघनिष्क्रीडित व्रत में साधनारत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज का महापारणा कार्यक्रम हुआ। इस महोत्सव में योग गुरु बाबा रामदेव भी शामिल हुए। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री पी रुपाला, नेपाल के सांसद गुरवाणी समेत भारी संख्या में लोग कार्यक्रम में शामिल हुए।


इस मौके पर आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज ने 557 दिनों का मौन व्रत तोड़ा और सबसे पहले नमः श्री ॐ कहा। इसके बाद उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को ज्ञान की महत्वपूर्ण बाते बताई। उन्होंने कहा कि इस संसार में तीन लोग ही अच्छे हैं। पहला जो मर गए, दूसरा हो पेट में है और तीसरा जिसे हम जानते नहीं हैं।यहां विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ साथ भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव और भव्य जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का भी आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में देश विदेश के हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।


बता दें कि जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी पारसनाथ में अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत व मौन साधना में लीन रहें। अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिन की अखंड मौन साधना और एकांतवास में रहे। पारसनाथ पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित गुफा में 557 दिन की कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत की यात्रा के दौरन 61 दिन की पारणा विधि यानी आहार चर्या पूरी कर 496 दिनों का निर्जला उपवास भी रखा।


प्रसन्न सागर जी महाराज मध्य प्रदेश के छतरपुर के रहने वाले हैं। उनका जन्म 23 जुलाई 1970 को हुआ और महज 16 वर्ष की आयु में 12 अप्रैल 1986 को इन्होंने ब्रह्चार्य व्रत रखा। 18 अप्रैल 1989 को इन्होंने मुनि की दीक्षा ली। 23 नवम्बर 2019 में आचार्य पद हासिल किया। आचार्य ने अब तक एक लाख किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल यात्रा की है जबकि दीक्षा काल से 35 सौ दिन से ज्यादा उपवास पर रहे। कहा जाता है कि इस तरह की कठिन व्रत की साधना जैन तीर्थंकर भगवान महावीर ने की थी।


आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज को कई उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है। गुजरात सरकार ने इन्हें साधन महोदधि से विभूषित किया तो वियतनाम विश्वविद्यालय से डाक्ट्रेट की मानक उपाधि मिली है। गिनीज बुक रिकॉर्ड, एशिया बुक रिकॉर्ड, इंडिया बुक रिकॉर्ड में भी विभिन्न कृतियों के कारण इनका नाम दर्ज है। ब्रिटेन की संसद ने सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा भारत गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया है।