PATNA : सदस्यता अभियान के बाद जेडीयू में संगठन चुनाव का सिलसिला शुरू होगा। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी के संगठन चुनाव के बाद इलेक्शन मोड में आ जाएगी। लेकिन इस सबके बीच सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि वशिष्ठ नारायण सिंह के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठेगा?
जेडीयू में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए यूं तो कई दावेदार हैं लेकिन वशिष्ठ नारायण सिंह को रिप्लेस करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा। जेडीयू के अंदरूनी सूत्रों की माने तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर तब तक किसी ने शख्स की ताजपोशी नहीं होगी जब तक खुद वशिष्ठ नारायण सिंह पहल नहीं करें। इसके पीछे जेडीयू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए वशिष्ठ नारायण सिंह का सबसे ज्यादा विश्वसनीय होना अहम कारण है। सियासत में वशिष्ठ नारायण सिंह को प्यार से सभी 'दादा' कहकर पुकारते हैं। सीएम नीतीश भी खुद वशिष्ठ नारायण सिंह का सम्मान करते हैं।
वशिष्ठ नारायण सिंह ने पिछले दिनों अपनी सर्जरी कराई थी। उसके बाद नीतीश कुमार ने पार्टी के पदाधिकारियों को निर्देश दिया था कि प्रदेश कार्यालय में वशिष्ठ नारायण सिंह का इंतजार करने की बजाय उनके आवास पर ही पार्टी की जरूरी बैठकें निपटाएं। चुनावी साल में नीतीश कुमार को वशिष्ठ नारायण से ज्यादा भरोसेमंद चेहरा नहीं मिल सकता। जेडीयू के अंदर लगातार इस बात की चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी दूसरे की ताजपोशी तभी हो सकती है जब वशिष्ठ खुद अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ने की पेशकश करते दें। संभव है कि नीतीश कुमार तब भी वशिष्ठ नारायण सिंह को कोई कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर उसके ज़रिए काम लेने को कह सकते हैं। इंतजार जेडीयू में संगठन चुनाव के शुरुआत होने का है लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि जेडीयू में फिलहाल 'दादागिरी' जारी रह सकती है।