Ahmedabad Plane Crash: कौन है 17 वर्षीय नाबालिग, जो विमान हादसे का बना गवाह? पुलिस ने की पूछताछ Bihar Election: NDA में शाह-मात का खेल तेज, नीतीश के मास्टरस्ट्रोक से खतरे में चिराग की पसंदीदा सीटें Bihar News: भूमि अधिग्रहण में मूल्य निर्धारण के लिए नई व्यवस्था, MVR को लेकर जारी हुआ यह निर्देश Bihar Crime News: 22 वर्षीय मूक-बधिर मजदूर की गोली मारकर हत्या, बदमाश फरार Bihar Crime News: 50 करोड़ की चरस के साथ तस्कर गिरफ्तार, पूरे देश में बांटने की थी योजना Bihar Crime News: सड़क किनारे अधेड़ का शव बरामद, बीती रात मछली पार्टी में हुआ था शामिल land registration Bihar: डिजिटल निबंधन से जमीन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हुआ तेज, तीन महीने में हुए इतने आवेदन Bihar Crime News: महिला पुलिसकर्मी को अपराधियों ने मारी गोली, हालत गंभीर Bihar News: बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी, इस ट्रिक से पैदावार कीजिए दोगुनी; खाद खरीदने की टेंशन खत्म Patna News: पटना के नए SSP बने कार्तिकेय शर्मा, जानिए... राजधानी में क्या होगी सबसे बड़ी चुनौती?
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 06 Oct 2023 06:56:00 AM IST
- फ़ोटो
PATNA: सनातन धर्म में ‘जीवित्पुत्रिका’ पर्व का विशेष महत्व है। यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह व्रत आज यानी 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है।
जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि संतान के लिए किया गया यह व्रत किसी भी बुरी परिस्थिति में उसकी रक्षा करता है। यह कठिन व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अधिक प्रचलित है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी यह व्रत रखा जाता है। ऐसे में आइए जानें जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि और इसकी महिमा।
जितिया व्रत के नियम तीन दिनों तक चलते हैं। पहले दिन नहाय खाय होता है, इसके अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और फिर तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। जितिया व्रत में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है।
आपको बताते चलें कि, जीविप्तुत्रिका व्रत यानि जितिया व्रत में में पूजा की थाली में अक्षत यानि चावल, पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, फूल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल और खली होना आवश्यक है। इसके अलावा चील व सियारिन बनाने के लिए गाय के गोबर की भी आवश्यकता होती है।