PATNA: सनातन धर्म में ‘जीवित्पुत्रिका’ पर्व का विशेष महत्व है। यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह व्रत आज यानी 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है।
जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि संतान के लिए किया गया यह व्रत किसी भी बुरी परिस्थिति में उसकी रक्षा करता है। यह कठिन व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अधिक प्रचलित है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी यह व्रत रखा जाता है। ऐसे में आइए जानें जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि और इसकी महिमा।
जितिया व्रत के नियम तीन दिनों तक चलते हैं। पहले दिन नहाय खाय होता है, इसके अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और फिर तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। जितिया व्रत में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है।
आपको बताते चलें कि, जीविप्तुत्रिका व्रत यानि जितिया व्रत में में पूजा की थाली में अक्षत यानि चावल, पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, फूल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल और खली होना आवश्यक है। इसके अलावा चील व सियारिन बनाने के लिए गाय के गोबर की भी आवश्यकता होती है।