PATNA : देश में जातिगत जनगणना को लेकर लंबे वक्त से बहस छिड़ी है. जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई जातिगत जनगणना नहीं होने जा रही. जातीय जनगणना कराने से केंद्र के इनकार के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने धैर्य खो दिया है. लालू ने ताबड़तोड़ दो ट्वीट किया है, जिससे साफ़ जाहिर हो रहा कि जातिगत जनगणना को लेकर लालू के सब्र का बांध टूट गया है.
जातीय जनगणना को लेकर बीते दिनों प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले तेजस्वी यादव के पिता और बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव ने ट्विटर पर जमकर भड़ास निकाला है. जातीय जनगणना कराने से केंद्र के इनकार के बाद लालू ने ओबीसी तबके से आने वाले सांसद और मंत्रियों को खूब सुनाया है. लालू ने ट्वीट कर लिखा है कि ओबीसी वर्ग से चुके गए सांसदों और मंत्रियों पर धिक्कार है. इनका बहिष्कार होना चाहिए.
लालू ने ट्वीट में लिखा कि "जनगणना में साँप-बिच्छू, तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली, सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे गिने जाएँगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी.वाह! BJP और RSS को पिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा. सबकी असलियत सामने आएगी."
एक अन्य ट्वीट में लालू ने लिखा कि "BJP-RSS पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के साथ बहुत बड़ा छल कर रहा है. अगर केंद्र सरकार जनगणना फ़ॉर्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर देश की कुल आबादी के 60 फ़ीसदी से अधिक लोगों की जातीय गणना नहीं कर सकती तो ऐसी सरकार और इन वर्गों के चुने गए सांसदों व मंत्रियों पर धिक्कार है. इनका बहिष्कार हो."
गौरतलब हो कि हाल में बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली प्रतिनिधिमंडल ने जाति गणना की मांग पीएम से की थी. इसमें लालू यादव के बेटे और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी शामिल थे. सभी ने जल्द से जल्द जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी, जो लंबे वक्त से अटकी हुई है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछड़े वर्ग की जाति जनगणना एडमिनिस्ट्रेटिव तौर पर कठिन और बोझिल कार्य है. सोच समझकर एक नीतिगत फैसले के तहत इस तरह की जानकारी को जनगणना के दायरे से अलग रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में हलफनामा दायर किया गया है और कहा गया है कि सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 में की गई थी और उसमें कई गलती और त्रुटि थी. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पिछले साल एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2011 के दौरान एकत्र जानकारी दी थी. इसमें एसटी एससी की जानकारी है लेकिन जातियों की अन्य श्रेणी की चर्चा नहीं है.