PATNA: बिहार में जातिगत जनगणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। 15 अप्रैल से होने वाले दूसरे चरण के जातिगत जनगणना के लिए हर जाति की पहचान के लिए सरकार ने एक खास कोड जारी किया है हालांकि इसी बीच जाति आधारित जनगणना के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में एक साथ तीन जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं और हाई कोर्ट से जाति आधारित जनगणना को रद्द करने की मांग की गई है।
इन याचिकाओं में याचिकाकर्ता ने कहा है कि जाति आधारित गणना से समाज में भेदभाव उत्पन्न हो सकता है। शुभम नाम के शख्स ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सामान्य प्रशासन विभाग के उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है, जिसमें बिहार में जातिगत जनगणना कराने की बात कही गई थी। इस मामले पर हाई कोर्ट में 18 अप्रैल को सुनवाई हो सकती है।
याचिकाकर्ता शुभम का कहना है कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए बिहार की सरकार मनमाने तरीके से जाति आधारित जनगणना करा रही है, जिसके कारण भेदभाव बढ़ने की आशंका है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में कहा है कि जब केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने से इंकार कर दिया है तो बिहार सरकार पांच सौ करोड़ रुपए खर्च कर बिहार में जाति आधारित जनगणना क्यों करा रही है।