DESK : हर एक महिला का बहुत महत्वपूर्ण भाग होता है लेकिन इस बात की जानकारी के बाद भी लोग महिला की बीमारियों को अनदेखा कर देते हैं. आजकल के खानपान की वजह से लोग काफी समस्या से घिर चुके हैं. ये परेशानी ज्यादातर महिलाओं में देखने को मिलती है. कई तरह की गंभीर समस्याओं का सामना महिलाओं को करना पड़ता है जिसमें पीसीओएस / पीसीओडी (PCOS/PCOD) जैसी बीमारी शामिल हैं जिनका अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो आगे परेशानी का सबब बन सकती है.
आज लगभग हर महिला में पीसीओएस / पीसीओडी (PCOS/PCOD) पाया जा रहा है. इस बीमारी से 90% महिलाएं ग्रषित हो रही हैं. आपको बता दें कि पीसीओएस की समस्या पहले केवल 30 से 35 वर्ष की आयु की महिला को होती थी लेकिन बदलते लाइफस्टाइल और डाइट के कारण यह स्कूल जाने वाली बच्चियों में अब नज़र आने लगी है. इसके बावजूद अधिकांश महिलाओं को इस बात की पूरी जानकारी नहीं है. इस समस्या का बढ़ना, आने वाले भविष्य की समस्याओं की तरफ इशारा हो सकता है.
पीसीओएस / पीसीओडी (PCOS/PCOD) होता क्या है ?
पीसीओएस या पीसीओडी (PCOS OR PCOD) का अर्थ ‘पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम’ या ‘पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर’ है. यह समस्या आमतौर पर महिलाओं के अंदर हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) के कारण उत्पन्न हो जाती है. इसमें महिला के शरीर में मेल हार्मोन ‘एण्ड्रोजन’ (Male Hormone ‘androgen’) का लेवल बढ़ जाता है और अंडाशय पर एक से ज़्यादा सिस्ट होने लगते हैं.
कैसे जानें की आप पीसीओएस / पीसीओडी (PCOS/PCOD) से ग्रसित हैं. जानें लक्षण ?
मासिक धर्म अनियमित होना
वजन का बढ़ना
बालों का झड़ना
त्वचा संबंधी कोई समस्या
अनचाहे अंगों पर बालों का उगना जैसे ठोड़ी, चेहरे, छाती, पीठ, पेट
गर्भधारण में समस्या
बार-बार गर्भपात होना
अंडाशय में सिस्ट
इंसुलिन प्रतिरोध
डिप्रेशन या एंग्जायटी
पीसीओएस / पीसीओडी (PCOS/PCOD) से बचाव करने के लिए क्या करें?
पीसीओएस का कई बार पता नहीं लग पाता है. फिर भी इसके बचाव के लिए आप अपनी दिनचर्या में बदलाव कर, इस समस्या से बच सकते हैं.
अपने व्यस्त लाइफस्टाइल से सुबह या शाम का समय निकालकर सैर पर जाएं. डांस, स्विमिंग, एरोबिक्स, ज़ुम्बा, योग, किसी भी तरह का शरीरिक व्यायाम करने का प्रयास करें.
अपने भोजन में बदलाव कीजिए. भोजन का सेवन सही समय पर कीजिए साथ ही आहार में पौष्टिक तत्वों का सेवन करें. जंक फ़ूड, मीठा, तैलिय पदार्थ, कोल्डड्रिंक आदि का सेवन बंद कर दें. यदि बंद नहीं कर सकते तो धीरे-धीरे इनका सेवन कम कर दें.
इससे बचाव के लिए क्या-क्या खाएं ?
साल्मपन मछली - इसके सेवन से ओमेगा 3 फैटी एसिड मिलता है
सलाद पत्ता- पीसीओएस में इंसुलिन प्रतिरोध एक आम कारण है इसलिए अपने आहार में सलाद पत्तों को शामिल ज़रूर करें.
दालचीनी खाने में जरूर उपयोग करे
ब्रॉक्ली- इस हरी सब्जी में विटामिन मौजूद होते हैं. लेकिन इसमें एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन ए और सी होने से महिला के शरीर को पूर्ण आहार मिल जाता है.
टूना मछली- टूना मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड विटामिन मौजूद होता है जो शरीर के लिए बहुत पौष्टिक है.
शकरकंद- यदि आप मीठा खाने का शौक़ रखती है तो कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index) वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें.
दही- दही में कैल्शियम मौजूद होता है जो की महिलाओं में मूत्राशय पथ के संक्रमण से लड़ने में मदद करता है.
पालक- पालक को सुपर फ़ूड कहा जाता है जिसमें बहुत कम कैलोरी मौजूद होती है.
मुलहठी -मुलहठी के सेवन से महिला के शरीर में मौजूद पुरुष हार्मोन में कमी आने लगती है जिससे पीसीओएस की समस्या में राहत मिलती है.
क्या न खाएं ?
पिज़्ज़ा ,बर्गर, चिप्स ,कोक, चीज़, पैकेट वाला जूस, केचप, केक, पेस्ट्री जैसी चीज़ें जिनसे वजन बढ़ने का खतरा है उसका सेवन न करें.
पीसीओएस / पीसीओडी (PCOS/PCOD) का उपचार : डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों के सेवन से हार्मोन को संतुलन में लाया जा सकता है जिससे पीसीओएस की समस्या से राहत मिल सकती है. ओव्यूलेशन इंडक्शन भी एक उपचार के तौर पर करवाया जा सकता है.