IPS विकास वैभव ने सरकार को लिखा पत्र, DG शोभा अहोतकर से मुझे गंभीर खतरा, तत्काल कार्य से मुक्त करने की लगाई गुहार

IPS विकास वैभव ने सरकार को लिखा पत्र, DG शोभा अहोतकर से मुझे गंभीर खतरा, तत्काल कार्य से मुक्त करने की लगाई गुहार

PATNA: होमगार्ड के डीजी शोभा अहोतकर की गाली-गलौज और प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाने वाले आईपीएस अधिकारी विकास वैभव ने सरकार से गुहार लगायी है कि उन्हें तत्काल होमगार्ड आईजी के पद से कार्यमुक्त कर दिया जाए।


विकास वैभव ने बिहार के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि मेरा अब एक भी दिन उनके अधीन काम करना गंभीर खतरे की घंटी से कम नहीं है। मुझे आशंका है कि वहां काम करने पर कार्यस्थल पर ही मेरे साथ गंभीर अप्रिय घटनाएं घट सकती है। मुझे ऐसी क्षति पहुंचाई जा सकती है तो मेरे लिए अपूर्णीय हो। इसलिए मुझे वहां से मुक्त कर किसी दूसरी जगह पर तैनात किया जाए। विकास वैभव ने तत्काल दो सप्ताह की छूट्टी भी मांगी है। 


गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजे गये पत्र में विकास वैभव ने यह लिखा है कि उपर्युक्त विषय के संबंध में सादर अनुरोधपूर्वक कहना है कि ज्ञापांक- 111 / गो०, दिनांक 10.02.2023 के माध्यम से महानिदेशक-सह- महासमादेष्टा महोदया (गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशाम सेवाएँ, बिहार, पटना) ने मेरे विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने से संबंधित पत्र लिखा है, जिसकी जानकारी मुझे गृह विभाग द्वारा प्रेषित पत्र ( ज्ञापांक- 2074, दिनांक- 11.02. 2023) से प्राप्त हुई है और मुझे सात दिनों के अन्दर अपना स्पष्टीकरण समर्पित करने के लिए कहा गया है। इस संबंध में मैं आश्वस्त करना चाहता हूँ कि निर्धारित अवधि में मैं अपना स्पष्टीकरण महोदय के समक्ष सभी कंडिकाओं के संबंध में आवश्यक विवरण के साथ उपलब्ध कराऊँगा ।


इस पत्र के द्वारा आपके माध्यम से राज्य सरकार को मुझे यह अवगत कराना है कि विगत दिनांक-20.10.2022 को गृह विभाग के पत्रांक- 10554, दिनांक- 18.10.2022 के आलोक में अधोहस्ताक्षरी द्वारा पुलिस महानिरीक्षक सह अपर महासमादेष्टा, गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशाम सेवाएँ, बिहार, पटना के पद पर योगदान किया गया था। योगदान के पश्चात् ही सभी साक्षात्कारों के क्रम में तथा सभी विभागीय पदाधिकारियों की हर बैठक में अनावश्यक असंसदीय तथा अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए महानिदेशक-सह- महासमादेष्टा गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशाम सेवाएँ, बिहार, पटना के पद पर योगदान किया गया था। 


योगदान के पश्चात् ही सभी साक्षात्कारों के क्रम में तथा सभी विभागीय पदाधिकारियों की हर बैठक में अनावश्यक असंसदीय तथा अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए महानिदेशक-सह- महासमादेष्टा महोदया द्वारा मुझे अत्यन्त अपमानित किया जाता रहा है, जो मेरे जैसे कर्तव्यनिष्ठ एवं उत्तरदायी लोकसेवक के लिए बहुत बड़ी मानसिक प्रताड़ना रही है।


उक्त के आलोक में अधोहस्ताक्षरी द्वारा महोदय से आपके कार्यालय कक्ष में निजी रूप से मिलकर पहली बार दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में ही बताया गया था कि महानिदेशक - सह -महासमादेष्टा महोदया द्वारा मुझे निरंतर गाली दिया जा रहा है तथा अपमानित किया जा रहा है। अधोहस्तादारी द्वारा तब ही यह भी बताया गया था कि महानिदेशक-सह-महासमादेष्टा महोदया द्वारा अत्यंत अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है तथा मेरी पत्नी के संबंध में भी अपमानजनक टिप्पणियों की गई हैं।


 दिनांक-23.01.2023 को अधोहस्ताक्षरी, पुलिया उप महानिरीक्षक राह-उप महारामादेष्टा श्री विनोद कुमार एवं समादेष्टा 'व' श्री राजीव रंजन भी साथ में निवेदन हेतु आपसे मिलने आए थे, जिसमें हमलोगों ने मिलकर सामूहिक रूप से बताया था कि महानिदेशक सह महासमादेष्टा महोदया द्वारा प्रतिदिन अनावश्यक ही गाली-गलौज किया जाता है और क्रोधयुक्त अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जाता है। पुनः दिनांक 24.01.2023 को पुलिस उप महानिरीक्षक सह उप महासमादेष्टा ना, श्री विनोद कुमार तथा श्री राजीव रंजन द्वारा आदरणीय मुख्य सचिव बिहार महोदय को महानिदेशक- राइ महासमादेष्टा महोदया द्वारा किये जा रहे अमानवीय दुर्व्यवहार की शिकायत की गई थी। 


इस अमानवीय दुर्व्यवहार के कारण ही पुलिस उप महानिरीक्षक सह उप महासमादेष्टा ॥, श्री विनोद कुमार उनके कार्यालय कक्ष में बेहोश भी हो गये थे और लगभग 45 मिनट के बाद ही पूर्णतः होश में आ सके थे और तब से उनकी तबीयत लगातार खराब ही चल रही है। इसके बाद भी महानिदेशक-सह महासमादेष्टा महोदया द्वारा क्रोधयुक्त दुर्व्यवहार एवं अभद्र टिप्पणियाँ की जाती ही रहीं तथा यहाँ तक कि अधोहस्ताक्षरी सहित कई अफसरों को उनके द्वारा "बिहारी" बोलकर अपमानित करने का प्रयास किया गया और बताया गया कि "बिहारी कामचोर होते हैं।"


दिनांक 08.02.2023 को क्रय समिति की बैठक के दौरान महानिदेशक - सह -महासमादेष्टा महोदया द्वारा मुझे तीन वार "Bloody IG" सभी के समक्ष कहा गया और पुलिस उप महानिरीक्षक-सह-उप महासमादेष्टा १. श्री विनोद कुमार को अपमानित करके और "Get out" कहकर सभाकक्ष से बाहर निकाल दिया गया। इन कारणों से मैं अत्यंत विचलित और मानसिक रूप से द्रवित हो उठा और बैठक के बाद हुए अपमान के कारण मुझे पूरी रात नींद नहीं आई। मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। उसी मनोदशा में देर रात्रि 1.43 बजे एक ट्वीट करने की इच्छा हुई और मैंने ट्वीट कर दिया। परन्तु कुछ मिनट बाद ही मुझे लगा कि ट्वीट नहीं करते हुए मुझे सरकार को अवकाश के लिए आवेदन देना चाहिए और मैंने ट्वीट को डिलीट कर दिया। ट्वीट डिलीट करने के पश्चात् ट्वीट के प्रसारण में मेरी कोई भूमिका नहीं रही है।


फिर अगले दिन प्रातः कार्यालय आकर मेरे द्वारा गृह विभाग से अवकाश स्वीकृत करने हेतु (गै०स०प्रे०सं०-34 / गो० / अनु०, दिनांक- 09.02.2023) आवेदन दिया गया तथा पूर्व से स्वीकृत अवकाश (गै०स०प्रे०सं०- 23 / गो० / अनु०, दिनांक 03.02.2023) के उपभोग हेतु दिनांक 09.02.2023 के अपराह्न में प्रस्थान कर लिया गया, जिसकी सूचना गै०स०प्र०सं०-35 / गो० / अनु०. दिनांक 09.02.2023 के द्वारा मुख्यालय, गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशाम सेवाएँ, बिहार, पटना को दी गई थी। 


इसी बीच ज्ञापांक- 101 / गो० दिनांक-09.02. 2023 के माध्यम से महानिदेशक सह महासमादेष्टा महोदया द्वारा मुझसे स्पष्टीकरण पूछा गया, जिसमें मुझे 24 घण्टे के अन्दर ही अपना स्पष्टीकरण समर्पित करने को कहा गया और फिर ज्ञापांक- 102 / गो० दिनांक-09.02.2023 के द्वारा महानिदेशक सह महासमादेष्टा महोदया द्वारा मेरे अधियाधित अवकाश को स्वीकृत नहीं करने की अनुशंसा की गई। महानिदेशक सह महासमादेष्टा महोदया द्वारा स्वीकृत एक दिन के आकस्मिक अवकाश पर में बिहार से बाहर था और इससे पहले कि लौट कर आने के उपरान्त में अपना स्पष्टीकरण महोदया को समर्पित करता. उनके द्वारा ज्ञापांक- 111 / गो०, दिनांक- 10.02.2023 के माध्यम से मेरे विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने के संबंध में गृह विभाग को पत्र लिखा गया, जिसका जवाब में शीघ्र ही समर्पित करूंगा।


विभागीय कार्य में किसी प्रकार की कमी अथवा त्रुटि परिलक्षित होने पर कनीय पदाधिकारी को मार्गदर्शन, निदेश अथवा आदेश दिये जाने की प्रक्रिया निर्धारित हैं तथा स्थापित प्रक्रियात्मक परम्पराएँ भी प्रचलित हैं। इसके बावजूद असंसदीय एवं अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जाना किसी स्तर के पदाधिकारी के लिए नियमावली के अनुरूप अथवा विधिमान्य नहीं है। इसके लिए कितने भी उच्च स्तर के पदाधिकारी हो या किसी भी वरीयतम पद पर हो, वे विधितः अधिकृत नहीं है।


वरीय पदाधिकारी द्वारा स्वयं को एक अनुशासनहीन तथा मर्यादाविहीन पदाधिकारी होने संबंधी अपना अपराध महसूस करने की बजाय इसके विपरीत इस घटना के तत्काल बाद उनके द्वारा मुझसे ही स्पष्टीकरण की माँग कर दी गई, परन्तु इसके लिए "Reasonable Opportunity" नहीं प्रदान करते हुए मात्र 24 घंटों में अनुपालन की अपेक्षा की गई। इससे प्रथम दृष्टया यह परिलक्षित होता है कि वे यथाशीमा मुझे और भी मानसिक रूप से प्रताड़ित करने तथा युद्ध स्तर पर अन्य प्रकार से दंडित करने की भी मंशा रखती है यह उल्लेख करना आवश्यक प्रतीत होता है कि माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा नई दिल्ली द्वारा Reasonable Opportunity को विभिन्न अवसरों पर भली-भाँति परिभाषित करते हुए स्पष्ट किया गया है कि इसके लिए न्यूनतम दो सप्ताह का समय दिया जाना आवश्यक है।


महोदय आप अवगत होंगे कि मैंने अपने को अत्यंत प्रताड़ित महसूस करते हुए दो माह (60) के उपार्जित अवकाश का अनुरोध राज्य सरकार से किया है। इस संबंध में भी वरीय पदाधिकारी द्वारा अपनी ओर से कतिपय आपत्तियों की गई हैं। इससे भी मेरे प्रति उनका Ulterior Motive तथा Biasness स्पष्ट होता है। मेरा अब एक दिन भी उनके नियंत्रणाधीन कार्यरत रहना मेरे लिए गंभीर खतरे की घंटी से कम नहीं है। मुझे आशंका है कि वहाँ कार्यरत रहने पर कार्यस्थल पर ही मेरे साथ कुछ गंभीर अप्रिय घटनाएँ घट सकती हैं अथवा ऐसी क्षति पहुँचाई जा सकती है, जो मेरे लिए अपूरणीय हो। फलतः अब एक दिन भी मेरे लिए उक्त वरीय पदाधिकारी के अधीन कर्तव्यस्त रहना संभव एवं सुरक्षित नहीं है।


अतः मेरा अनुरोध है कि मेरी विशेष परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए, मेरे निर्दोष पारिवारिक सदस्यों की सुरक्षा पर विचार करते हुए अस्थायी तौर पर भी उक्त वरीय पदाधिकारी के नियंत्रण से मुक्त किसी अन्य पद पर मुझे पदस्थापित करने हेतु राज्य सरकार की स्वीकृति प्राप्त करने की कृपा की जाए। यदि किसी कारणवश राज्य सरकार के लिए यह वैकल्पिक व्यवस्था संभव नहीं हो, दिनांक 13.02.2023 के पूर्वाहन से मेरे द्वारा यथाआवेदित अवकाश की स्वीकृति की प्रत्याशा में उपार्जित अवकाश में प्रस्थान करने की अनुमति प्रदान करने की कृपा की जाए। साथ ही यह भी अनुरोध करना चाहता हूँ कि चूंकि बीते कई महीनों से मानसिक रूप से अपने वरीय पदाधिकारी द्वारा निरन्तर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता रहा हूँ, जिसके फलस्वरूप में विगत कुछ समय से अत्यन्त द्रवित हूँ अतः यदि संभव हो तो स्पष्टीकरण समर्पित करने की अवधि को 7 दिन से बढ़ाकर 14 दिन करने की कृपा की जाय ।