DESK : बंबई हाईकोर्ट ने चंदा कोचर और उसके पति दीपक कोचर को जमानत दे दी है। कोर्ट ने गिरफ़्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया है। इसको लेकर कोर्ट ने कहा कि, गिरफ़्तारी कानून के मुताबिक नहीं है। वहीं, सीबीआई ने दोनों को रिहा करने का विरोध किया है। बताया यह भी जा रहा है कि, बताया जा रहा है कि सीबीआई इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।
बता दें कि, कोर्ट ने इसको लकर साफ शब्दों में आदेश को सुनाते हुए कहा कि, 'दंपत्ति की गिरफ्तारी सीआरपीसी की धारा 41ए के आदेश के अनुरूप नहीं हुई। जानकारी हो कि, विशेष अदालत ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर,उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को ऋण धोखाधड़ी मामले में 10 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया था जबकि धूत को 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद अदालत ने तीनों आरोपियों को 10 जनवरी, 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
सीबीआई (CBI) ने 24 दिसंबर को इन दोनों को 2012 में वीडियोकॉन समूहको बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया था। केंद्रीय जांच एजेंसी का आरोप था कि वे जवाब देने में टालमटोल कर रहे थे और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे।
जिसके बाद पति-पत्नी को हिरासत में ले लिया गया था। वहीं, एजेंसी का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) ने वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया था।
प्राथमिकी के अनुसार, इस मंजूरी के एवज में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपॉवर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल स्थानांतरित की। पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट तथा एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था। इससे पहले 3 जनवरी को बंबई उच्च न्यायालय ने कथित ऋण धोखाधड़ी के एक मामले में चंदा कोचर तथा उनके पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर जवाब देने के लिए सीबीआई शुक्रवार तक का समय दिया था।