झारखंड की पहचान बचाना जरूरी, हेमंत सोरेन बोले- लागू होकर रहेगा 1932 का खतियान

झारखंड की पहचान बचाना जरूरी, हेमंत सोरेन बोले- लागू होकर रहेगा 1932 का खतियान

JAMSHEDPUR: झारखंड गठन के बाद से ही 1932 के खतियान का मामला उठता रहा है। झारखंड में 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता अगर लागू होता है तो झारखंडवासियों के वंशज ही झारखंड के मूल निवासी माने जाएंगे। हेमंत सरकार के इस विधेयक को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए वापस कर दिया था। जिसको लेकर झारखंड की सियासत गरमा गई है। इसी बीच जमशेदपुर पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि राज्य में 1932 का खतियान हर हाल में लागू होकर रहेगा।


दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को जुगसलाई रोड और ब्रिज का उद्घाटन करने जमशेदपुर पहुंचे थे। इसी दौरान सभा को संबोधित करते हुए सीएम हेमंत ने कहा कि झारखंड में 1932 का खतियान हर हाल में लागू होकर रहेगा।मुख्यमंत्री ने इससे पहले सरायकेला में सोमवार को खतियानी जोहार यात्रा के दौरान हेमंत सोनेन ने राज्यपाल की तरफ से विधेयक को लौटाने की जानकारी नहीं होने की बात कही थी और कहा था कि वे राज्यपाल से पूछेंगे कि उसमें असंवैधानिक क्या है। जमशेदपुर में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह स्थानीय नीति को लेकर राज्यपाल रमेश बैस से मिलेंगे और सारी परेशानियों और शंकाओं को दूर करने का प्रयास करेंगे।


मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी प्राथमिकता जनहित है। 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता विधेयक लाना जनहित में था और मूलवासियों के हित में था। यदि 1932 का खतियान लागू नहीं कर पाए तो झारखंडियत नहीं बचेगी। आदिवासी-मूलवासी की पहचान और अस्मिता सुरक्षित करने के लिए 1932 का खतियान हर हाल में लागू करना होगा। बता दें कि झारखंड में लंबे समय से 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति लाने की मांग की जा रही है। जनवरी 2022 में इस मांग को लेकर बड़ा आंदोलन भी हुआ था।