DELHI: सारण इलाके के आतंक माने जाने वाले राजद नेता प्रभुनाथ सिंह को आज सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनायी. छपरा के मशरख में 28 साल पहले यानि 1995 में हुए डबल मर्डर केस में प्रभुनाथ सिंह को सजा सुनायी गयी. इस मामले में प्रभुनाथ सिंह को निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट ने दोष मुक्त कर दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाया. कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाने के साथ साथ मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए और घायल के परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश भी दिया है. प्रभुनाथ सिंह को हत्या के आरोप के मामले में सात साल की सजा भी सुनायी गयी है।
सुप्रीम कोर्ट हैरान हुआ
बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने पहले ही प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया था. आज सजा सुनाने के लिए कोर्ट की बेंच बैठी. सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा-आज से पहले ऐसा केस नहीं देखा. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा-डबल मर्डर के इस मामले में हमारे पास दो ही विकल्प हैं. या तो सजा-ए-मौत दें या फिर उम्र कैद. प्रभुनाथ सिंह के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि उनकी उम्र 70 साल हो गयी है. इसके बाद जस्टिस कौल ने कहा-हम उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाते हैं. बाकी भगवान मालिक है, वह उन्हें क्या देता है।
दो वोट के लिए दो मर्डर
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी नेताओं में शामिल प्रभुनाथ सिंह ने 1995 में सिर्फ दो वोटों के लिए दो लोगों का मर्डर कर दिया था. 1995 में प्रभुनाथ सिंह छपरा के मशरख सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे. पोलिंग बूथ के पास ही प्रभुनाथ सिंह ने 18 साल के राजेंद्र राय और 47 साल के दारोगा राय की हत्या कर दी थी. उनका कसूर ये था कि उन्होंने प्रभुनाथ सिंह को वोट नहीं दिया था. ये वही चुनाव था जिसमें प्रभुनाथ सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. अशोक सिंह ने प्रभुनाथ सिंह को हराया था. लेकिन चुनाव जीतने के 3 महीने के भीतर अशोक सिंह की हत्या कर दी गयी थी. 3 जुलाई 1995 को पटना में अशोक सिंह का मर्डर हो गया था. अशोक सिंह हत्याकांड में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद प्रभुनाथ सिंह को उन्र कैद की सजा हुई है।
हाईकोर्ट तक ने बरी कर दिया था
मशरख के दोहरे हत्याकांड में प्रभुनाथ सिंह को निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था. पटना की एक अदालत ने 2008 में प्रभुनाथ सिंह को इस मर्डर केस में बरी कर दिया था. पीड़ित पक्ष हाईकोर्ट गया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी 2012 में निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगा दिया. इसके बाद मृतक के भाई ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगायी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को ही प्रभुनाथ सिंह को इस दोहरे हत्याकांड में दोषी करार दिया था. आज उन्हें सजा सुनायी गयी।
डीएम को कहा था-कफन खरीद लो
राजद के शासनकाल में सारण क्षेत्र में आतंक के पर्याय माने जाने वाले प्रभुनाथ सिंह ने छपरा से लेकर सिवान और गोपालगंज में सामानांतर शासन चलाया था. उन्होंने एक बार छपरा के तत्कालीन डीएम कुंदन कुमार को कफन खरीद कर रख लेने को कहा था. छपरा के डीएम ने प्रभुनाथ सिंह की बात नहीं थी. इस मामले में प्रभुनाथ सिंह पर दो केस दर्ज किये गये थे. प्रभुनाथ सिंह दर्जनों संगीन मामलों के आरोपी रहे हैं।
प्रभुनाथ सिंह 1985 में पहली बार मशरख से निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक बने थे. 1990 में वे लालू प्रसाद के समर्थन से उनकी पार्टी से विधायक बने थे. 1995 में चुनाव हारे लेकिन जीतने वाले विधायक अशोक सिंह का मर्डर करा दिया. अशोक सिंह के मर्डर के बाद उप चुनाव हुए तो प्रभुनाथ सिंह फिर खड़े हुए. लेकिन उस चुनाव में अशोक सिंह के भाई तारकेश्वर सिंह चुनाव जीते. वे 1998, 1999, 2004 और 2013 में महाराजगंज से लोकसभा का चुनाव जीते।