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Bihar Assembly Election 2025 : जानिए आज शाम 5 बजे से किन चीजों पर लग जाएगी रोक, साइलेंस पीरियड लागू होने के बाद आयोग इन चीजों पर रखती हैं सख्त निगरानी

4 नवंबर से लागू होगा 48 घंटे का साइलेंस पीरियड। इस दौरान चुनावी प्रचार, सोशल मीडिया पोस्ट, टीवी विज्ञापन और बाहरी नेताओं की गतिविधियों पर पूर्ण रोक। मतदाता स्वतंत्र मतदान करें।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 04 Nov 2025 11:53:02 AM IST

Bihar Assembly Election 2025 : जानिए आज शाम 5 बजे से किन चीजों पर लग जाएगी रोक, साइलेंस पीरियड लागू होने के बाद आयोग इन चीजों पर रखती हैं सख्त निगरानी

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Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है। इसके ठीक 48 घंटे पहले यानी 4 नवंबर की शाम पांच बजे से पूरे बिहार में चुनाव आयोग की ओर से सख्त साइलेंस पीरियड लागू किया जाएगा। इस अवधि के दौरान कोई भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी या संगठन मतदान को प्रभावित करने वाले किसी भी प्रकार के प्रचार, भाषण या प्रसारण से दूर रहेगा। चुनाव आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता बिना किसी बाहरी दबाव, राजनीतिक प्रचार या भावनात्मक अपील के स्वतंत्र रूप से अपने मत का प्रयोग कर सके।


लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126(1)(B) के तहत, मतदान से 48 घंटे पहले और मतदान के दिन तक किसी भी प्रकार के चुनावी प्रचार या ‘इलेक्शन मैटर’ जनता तक पहुंचाना प्रतिबंधित है। यहां ‘इलेक्शन मैटर’ का अर्थ है कोई भी संदेश, बयान, कार्यक्रम या सामग्री जो मतदाता के निर्णय को प्रभावित कर सके या किसी दल या प्रत्याशी के पक्ष-बिपक्ष में माहौल तैयार करे। यदि कोई व्यक्ति या संगठन इस नियम का उल्लंघन करता है, तो इसके लिए दो साल की जेल, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।


सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक

जैसे ही घड़ी में 4 नवंबर को शाम पांच बजे का समय होगा, बिहार के सभी 121 विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार गतिविधियाँ पूरी तरह बंद हो जाएंगी। इस दौरान किसी भी प्रकार की सार्वजनिक सभा, रैली, जुलूस या राजनीतिक भाषण की अनुमति नहीं होगी। साथ ही, धर्मस्थल, स्कूल, कॉलेज या किसी भी सार्वजनिक स्थान पर चुनाव प्रचार निषिद्ध रहेगा। लाउडस्पीकर या किसी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र का इस्तेमाल तुरंत रोक दिया जाएगा।


पटना, गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और भागलपुर जैसे बड़े जिलों में प्रशासन पहले ही माइक और रैली वैन की निगरानी शुरू कर चुका है। जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मतदान केंद्रों के पास तय परिधि के भीतर किसी भी प्रचार गतिविधि को तुरंत रोकें और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।


मीडिया और सोशल मीडिया पर सख्त नजर

इस बार चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लिए भी सख्त नियम लागू किए हैं। मतदान से 48 घंटे पहले किसी भी टीवी चैनल, रेडियो स्टेशन, वेबसाइट या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चुनाव से जुड़ी प्रचार सामग्री या ओपिनियन प्रसारित करना पूरी तरह वर्जित है।


फेसबुक, एक्स (पूर्व ट्विटर), यूट्यूब और व्हाट्सऐप समूहों पर किसी उम्मीदवार के पक्ष में संदेश, वीडियो या कोई प्रचार सामग्री साझा करना भी प्रतिबंधित होगा। इसके लिए विशेष मॉनिटरिंग टीम बनाई गई है, जो उल्लंघन होने पर तुरंत कार्रवाई करेगी। ऑनलाइन विज्ञापन, राजनीतिक पोस्टर या किसी भी डिजिटल सामग्री के लिए अब चुनाव आयोग की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य होगी। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह रोक केवल समाचार प्रसारण तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रचार-प्रेरित सामग्री पर भी समान रूप से लागू होगी।


प्रिंट मीडिया में भी नियम लागू

अखबारों में चुनावी विज्ञापन अब बिना प्रमाणन के प्रकाशित नहीं किए जा सकते। सभी प्रकाशन संस्थानों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी राजनीतिक विज्ञापन को केवल “पूर्व-प्रमाणीकरण” के बाद ही प्रकाशित किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि उम्मीदवार या दल सीधे अखबार में विज्ञापन नहीं दे सकते; पहले उसकी सामग्री और तथ्य चुनाव आयोग की प्रमाणन इकाई द्वारा मंजूर होंगे। यह व्यवस्था मीडिया को जिम्मेदार और पारदर्शी बनाए रखने के उद्देश्य से लागू की गई है।


बाहरी नेताओं और समर्थकों पर रोक

जिन जिलों में मतदान होना है, वहां बाहरी राजनीतिक कार्यकर्ताओं या नेताओं को रोकने का भी प्रावधान है। ऐसे लोग, जो उस क्षेत्र के पंजीकृत मतदाता नहीं हैं, उन्हें अपने ठिकानों से हटकर जाने का निर्देश दिया जाएगा। होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशालाएँ और सामुदायिक भवनों की तलाशी ली जाएगी ताकि किसी पार्टी का प्रतिनिधि या कार्यकर्ता मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए वहां ठिकाना न बना सके। प्रशासन ने पुलिस बल की विशेष तैनाती के साथ 24 घंटे गश्त का आदेश भी जारी किया है।


निष्पक्ष मतदान की तैयारी

चुनाव आयोग का कहना है कि साइलेंस पीरियड लोकतंत्र की आत्मा है। जब सारा प्रचार बंद हो जाता है, तभी मतदाता स्वतंत्र रूप से सोच पाता है कि वह किसे वोट देगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रत्येक जिले में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं, जिनसे सोशल मीडिया पोस्ट और चुनावी गतिविधियों पर निगरानी रखी जाएगी।


इस तरह, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 4 नवंबर की शाम से लागू होने वाली “48 घंटे की चुप्पी” लोकतंत्र की सबसे मजबूत आवाज बनती है, जिससे मतदाता बिना किसी बाहरी दबाव के अपने निर्णय को स्वतंत्र रूप से ले सकता है।