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Hak Movie 2025: कानूनी पचड़े में फंसी इमरान हाशमी और यामी गौतम की फिल्म ‘हक’, कोर्ट पहुंचा शाह बानो का परिवार

Hak Movie 2025: सिनेमाघरों में 7 नवंबर को रिलीज़ होने वाली इमरान हाशमी और यामी गौतम की फिल्म ‘हक’ कानूनी विवादों में फंस गई है। यह फिल्म 1985 के ऐतिहासिक शाह बानो मामले पर आधारित है, जो महिलाओं के अधिकार और भरण-पोषण कानून से जुड़ा हुआ है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 04 Nov 2025 11:59:35 AM IST

Hak Movie 2025

हक मूवी 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Hak Movie 2025: सिनेमाघरों में 7 नवंबर को रिलीज़ होने वाली इमरान हाशमी और यामी गौतम की फिल्म ‘हक’ कानूनी विवादों में फंस गई है। यह फिल्म 1985 के ऐतिहासिक शाह बानो मामले पर आधारित है, जो महिलाओं के अधिकार और भरण-पोषण कानून से जुड़ा हुआ है। फिल्म का निर्देशन सुपर्ण एस. वर्मा ने किया है। शाह बानो के परिवार का आरोप है कि फिल्म में उनकी प्राइवेसी का उल्लंघन हुआ है और फिल्म बनाने से पहले उनके परिवार की अनुमति नहीं ली गई।


शाह बानो की बेटी, सिद्दीका बेगम, ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की याचिका दायर की है। उनके वकील तौसीफ वारसी ने बताया कि फ़िल्म में शाह बानो के नाम और जीवन की कहानी का इस्तेमाल बिना परिवार की मंजूरी के किया गया है। उन्होंने कहा, "शाह बानो ने अपने समय में भरण-पोषण के लिए संघर्ष किया और यह एक ऐतिहासिक मामला है। किसी के निजी जीवन का उपयोग करने से पहले उसकी सहमति लेना जरूरी है, क्योंकि यह निजता के अधिकार के अंतर्गत आता है।"


शाह बानो के पोते जुबैर अहमद खान ने भी इस बात पर नाराजगी जताई कि टीज़र रिलीज़ होने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी दादी पर फ़िल्म बनाई गई है। उन्होंने कहा कि टीजर में कई तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है, जिससे आम दर्शक सोच सकते हैं कि यह पूरी तरह सच्ची घटनाओं को दर्शाती है। उनका मानना है कि यह परिवार का निजी मामला था और फिल्म बनाने से पहले अनुमति लेना आवश्यक था।


हालांकि फिल्म के निर्माताओं का कहना है कि यह फिक्शनल फिल्म है और इसमें घटनाओं को नाटकीय रूप देने के लिए छूट ली गई है। उनके वकील अजय बागड़िया ने कहा कि फिल्म के डिस्क्लेमर में स्पष्ट लिखा गया है कि यह फिल्म शाह बानो के पक्ष में 1985 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और ‘बानो, भारत की बेटी’ नामक किताब से प्रेरित है। यह जरूरी नहीं कि फिल्म में हर चीज तथ्यात्मक रूप से प्रस्तुत की गई हो।


इससे पहले, शाह बानो की बेटी ने फ़िल्म के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजा था, जिसमें फ़िल्म के पब्लिकेशन, स्क्रीनिंग, प्रचार और रिलीज़ पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई थी। नोटिस में यह भी कहा गया कि बिना अनुमति के फिल्म बनाना और सार्वजनिक करना उनके परिवार की निजता का उल्लंघन है।


शाह बानो का मामला भारत में महिलाओं के अधिकारों के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है। 1978 में 62 वर्षीय शाह बानो ने अपने तलाकशुदा पति मोहम्मद अहमद खान से गुजारा भत्ता पाने के लिए इंदौर की अदालत में याचिका दायर की थी। उनका विवाह 1932 में हुआ था और उनके पांच बच्चे थे। 1985 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि शाह बानो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भरण-पोषण पाने की हकदार हैं। हालांकि, अगले साल राजीव गांधी सरकार ने कानून पारित किया, जिससे इस फैसले को प्रभावी रूप से रद्द कर दिया गया।


फिल्म ‘हक’ का विवाद दर्शाता है कि इतिहास पर आधारित फिल्में हमेशा संवेदनशील होती हैं, खासकर जब वास्तविक लोगों की ज़िंदगी और उनकी निजी परिस्थितियों को फ़िल्म का हिस्सा बनाया जाता है। अदालत में इस मामले का निर्णय यह तय करेगा कि फिल्म को निर्माता द्वारा तय की गई तारीख पर रिलीज किया जा सकता है या नहीं, और क्या परिवार की सहमति अनिवार्य है।