DARBHANGA: DMCH में एक बार फिर मरीज की जान से खिलवाड़ किया गया। प्रसव के दौरान डॉक्टरों ने मरीज की पेट में टेट्रा छोड़ दिया। महिला का दोबारा ऑपरेशन कर उसे बाहर निकाला गया। जिसका वीडियो भी सामने आया है।
उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक बार फिर बड़ी लापरवाही सामने आई है। स्त्री रोग विभाग के चिकित्सक ने ऑपरेशन के दौरान महिला मरीज के पेट में ट्रेटा छोड़ दिया। जिससे मरीज की हालत खराब हो गयी। इस बात का खुलासा रविवार की देर रात हुआ। जब मरीज तकलीफ से बेचैन थी जिसे परिजन एक निजी अस्पताल में ड्रेसिंग के लिए ले गये थे।
बीती रात गांव में डॉक्टर द्वारा ड्रेसिंग के दौरान जो कुछ पता चला उसे जानकर परिजन हैरान रह गये। घाव की सफाई के दौरान पेट के अंदर सफेद रंग का ट्रेटा दिखा जिसे बाहर निकाला गया। इस दौरान परिजनों ने सबूत के तौर पर दिखाने के लिए वीडियो भी बनाया। डीएमसीएच के अधीक्षक का कहना है कि मरीज फिलहाल ठीक है। पूरे मामले की जांच की जाएगी।
घटना के संबंध में बताया जाता है कि जाले प्रखंड के ब्रह्मपुर पश्चिमी निवासी शिवम ठाकुर की 24 वर्षीय पत्नी अंजला कुमारी का 8 अक्टूबर को DMCH में ऑपरेशन कर प्रसव हुआ था और 14 अक्टूबर को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। घर आने के बाद से ही उसकी तकलीफ घटने के बजाय बढ़ती ही जा रही थी। ऑपरेशन वाले भाग धीरे-धीरे घाव में बदल गया और वहां पस निकलने लगा। वही घाव के ड्रेसिंग के दौरान महिला के पेट से एक महीना बाद टेट्रा निकाला गया। जिसका वीडियो अब सामने आया है।
वहीं अंजला के पति शिवम ठाकुर ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि 8 अक्टूबर को डीएमसीएच में ऑपरेशन से लड़का हुआ था। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने मरीज के पेट के अंदर टेट्रा छोड़ दिया था। जिसके कारण लगातार मरीज को परेशानी हो रही थी और 40 दिन के बाद टेट्रा को बाहर निकाला गया। वहीं उन्होंने कहा कि इस बात का पता उन्हें बीती रात गांव में डॉक्टर द्वारा ड्रेसिंग के दौरान पता चला। घाव की सफाई के दौरान पेट के अंदर से ट्रेटा निकाला गया। जिसका वीडियो भी बनाकर परिजनों ने अपने पास रखा है।
वही डीएमसीएच अधीक्षक अल्का मिश्रा ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान साफ सफाई के लिए छोटा टुकड़ा टेट्रा का होता है। जिसे सर्जरी के दौरान डॉक्टर ब्लीडिंग को साफ करने के लिए उपयोग में लाते हैं। उन्होंने कहा कि मानवीय भूल हो सकती है। उसे हम इनकार नहीं कर सकते हैं। लेकिन क्या हुआ, नहीं हुआ, यह जांच का विषय है। जांच के उपरांत ही परिजन के आरोप की सत्यता का पता चल पाएगा।