धमाके के बाद जमींदोज हुआ ट्विन टावर, मलबे में तब्दील हो गई करप्शन की इमारत

धमाके के बाद जमींदोज हुआ ट्विन टावर, मलबे में तब्दील हो गई करप्शन की इमारत

DELHI: इस वक्त की बड़ी खबर नोएडा से आ रही है जहां धमाके से ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया गया है। ऐसे में भष्टाचार की इमारत ट्विन टावर मलबे में तब्दील हो गया है। नोएडा में 30 और 32 मंजिला गगनचुंबी इमारत जिसे कभी ट्विन टावर के नाम से लोग जानते थे। पलक झपकते ही यह जमींदोज हो गया।


ट्विन टावर अब इतिहास की बात हो गयी है। रविवार की दोपहर ढाई बजे के करीब यह आलिशान बिल्डिंग धराशाही हो गया। इसका नामोनिशान मिट गया है। इसे 3700 केजी बारूद लगाकर जमींदोज कर दिया गया। ट्विन टावर की बिल्डिंग में 9640 छेद किए गये थे और उसमें बारूद भरा गया था। इसे गिराने में 18 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही जा रही है। ट्विन टावर में 950 फ्लैट थे जिसे बनाने में 300 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।  


देखते ही देखते ताश के पत्तों की तरह नोएडा का ट्विन टावर ढह गया। एक बटन दबाते ही नोएडा का ट्विन टावर ध्वस्त कर दिया गया। मात्र 12 सेकेंड में कुतुबमिनार से सात-आठ मीटर ऊंची इमारत को मलबे के ढेर में बदल दिया गया। बता दें कि 2004 में नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को हाउसिंग सोसाइटी बनाने के लिए प्लॉट अलॉट किया था। 2005 में बिल्डिंग प्लान मंजूर हुआ। इसमें 10 मंजिल के 14 टावर बनाने की इजाजत थी। 2006 में सुपरटेक ने प्लान में बदलाव कर 11 मंजिल के 15 टावर बना लिए। नवंबर 2009 में प्लान फिर बदलकर 24 मंजिल के दो टावर शामिल कर लिए गए। 


मार्च 2012 में 24 मंजिल को बढ़ाकर 40 कर लिया। 2012 में अवैध निर्माण के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट ने 2014 में ट्विन टावर को अवैध घोषित कर गिराने का आदेश दिया। सुपरटेक बिल्डर ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया गया और टावर गिराने का आदेश दिया गया।


देश में ऐसा पहली बार हुआ जब एक साथ दो बिल्डिंग को जमींदोज किया गया। इस बिल्डिंग में करीब 3700 किलो विस्फोटक का प्रयोग किया गया था। आसपास की सोसाइटी में रहने वाले लोगों को वहां से हटा दिया गया था। उनके फ्लैट को खाली करा दिया गया था। ट्विन टावर को ध्वस्त होता देखने के लिए कई लोग भी पहुंचे थे जो गिरते ट्विन टावर का फोटो बना रहे थे और सेल्फी ले रहे थे। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे एक घंटे तक बंद रखा गया था। वहीं ट्विन टावर के आस-पास ट्रैफिक भी रोक दी गयी थी।  


गौरतलब है कि नोएडा के एमराल्ड कोर्ट परियोजना में बने ट्विन टावरों को बनाने वाली कंपनी सुपरटेक लिमिटेड है। यह एक गैर-सरकारी कंपनी है। इस कंपनी को सात दिसंबर, 1995 में निगमित किया गया था. सुपरटेक की स्थापना आरके अरोड़ा ने की है. उनके पास कुल 34 कंपनियां हैं. साल 1999 में आरके अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा ने दूसरी कंपनी सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी शुरू की थी।


बड़ी बात तो ये है कि सुपरटेक ने अब तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लांच किए हैं. इसके बावजूद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इसी साल कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया। कंपनी पर लगभग 400 करोड़ का कर्ज बकाया है। इसी कंपनी ने नोएडा में ट्विन टावर का निर्माण किया है। ट्विन टावर अब इतिहास के पन्नों मे दर्ज हो गया है।