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कोरोना से मौत के 15 महीने बाद मुर्दाघर में मिले दो शव, पहली लहर में हुई थी मौत

1st Bihar Published by: Updated Mon, 29 Nov 2021 04:55:16 PM IST

कोरोना से मौत के 15 महीने बाद मुर्दाघर में मिले दो शव, पहली लहर में हुई थी मौत

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DESK: 15 महीने पहले कोरोना से संक्रमित दो मरीजों की मौत के बाद आज मर्च्युरी से दोनों का शव मिला है। बेंगलुरू के ESI हॉस्पिटल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। बताया जाता है कि जुलाई 2020 में कोरोना की पहली लहर में संक्रमित होने के बाद दोनों को राजाजीनगर स्थित ईएसआई हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गयी थी।


मौत के 15 महीने बाद दोनों का शव मिलने से लोग भी हैरान हैं। दोनों शव का पता तब चला जब अस्पताल का सफाईकर्मी मुर्दाघर की सफाई कर रहा था। तभी मर्च्यूरी के कोल्ड स्टोरेज में रखे शवों पर उसकी नजर गयी। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी दी गयी। मामला सामने आने के बाद अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों की इस लापरवाही के खिलाफ लोगों में रोष व्याप्त है।


मामला सामने आने के बाद राजाजीनगर पुलिस ने पूरे मामले की छानबीन शुरू कर दी। मृतकों के परिजनों का पता लगाने में पुलिस जुटी है। शव में लगे टैग की मदद से एक मृतक की पहचान चामराजपेट निवासी 40 वर्षीय दुर्गा और दूसरे की पहचान केपी अग्रहारा निवासी 35 वर्षीय मुनिराजू के रूप में हुई है। दुर्गा के पति की मौत हो चुकी है वही परिवार के अन्य सदस्यों ने शव लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। 


वही मुनिराजू के परिजनों का पता नहीं चल पाया है। बताया जाता है कि जुलाई 2020 में दोनों कोरोना संक्रमित हुए थे जिसके बाद ईएसआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तभी इलाज के दौरान ही दोनों की मौत हो गई थी और आज 15 महीने बाद मुर्दाघर की सफाई के दौरान दोनों शव बरामद किया गया। फिलहाल दोनों शव को अंतिम संस्कार के लिए BBMP को सौंपा गया है। 


बताया जाता है कि ईएसआई हॉस्पिटल के पुराने मर्च्यूरी में छह कोल्ड स्टोरेज हैं जहां लाशों को रखा जाता है। कोरोना की पहली लहर के दौरान शवों को मुर्दाघर में रखने में काफी परेशानी हो रही थी। जिसके कारण सरकार ने नया मर्च्यूरी बनाया जिसका उद्घाटन 2020 दिसंबर को किया गया था। नए मुर्दाघर में काम शुरू होने के बाद दोनों लाश पुराने मुर्दाघर के फ्रीजर में रह गया। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही इसमें साफ नजर आ रही है। 15 महीनों तक लाश को क्यों नहीं खोजा गया। अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही से लोगों में रोष व्याप्त है।