PATNA : कोरोना की पहली लहर हो या फिर दूसरी, हम जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में जुटे रहे लेकिन कमरतोड़ महंगाई जानलेवा स्तर तक जा पहुंची। केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मई महीने में थोक महंगाई दर 12.94 फीसदी पर पहुंच गई। अप्रैल में यही दर 10.49 फीसदी थी। खाद्य उत्पादों की कीमत बढ़ने से खुदरा महंगाई भी उछलकर पिछले 6 महीने के उच्चतम स्तर 6.3% पर पहुंच गई। एक्सपर्ट के मुताबिक ईंधन की बढ़ती कीमतों के साथ राज्यों में पाबंदियां भी इसके पीछे बड़ी वजह है।
देश के अंदर थोक मूल्य महंगाई दर में लगातार पांचवें महीने बढ़त देखी जा रही है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि महंगाई में तेजी की मुख्य वजह पेट्रोल, डीजल, नेफ्था, फर्नेस ऑयल आदि पेट्रोलियम उत्पादों और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा वृद्धि है। ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति 37.61 प्रतिशत रही जो अप्रैल में 20.94 फीसदी थी। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मई में 10.83% रही, जो पिछले माह 9.01 फीसदी थी। खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर मई में मामूली कम होकर 4.31% पर आ गई लेकिन प्याज महंगा हुआ है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने खुदरा महंगाई के जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके अनुसार-खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में 5.01 प्रतिशत रही। यह पिछले महीने के 1.96 प्रतिशत से कहीं अधिक है। यह महंगाई दर रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर है। केंद्र सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति 2% घट-बढ़ के साथ 4% पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी हुई है लेकिन मई में यह 6.3% दर्ज की गई। विशेषज्ञों के मुताबिक महंगाई में तेजी सप्लाई की दिशा में आ रही मुश्किलों और लॉजिस्टिक्स की रुकावट की वजह से देखने को मिली है। केयर रेटिंग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मई में प्याज के दाम 23.2% बढ़ गए। राज्यों में पाबंदी सबसे बड़ी वजह है। आलू-सब्जियों की पैदावार बढ़ने से दाम कम हुए।