PATNA : JDU की बैठक में शनिवार से हुए ड्रामे के बाद नीतीश कुमार को बीजेपी की नाराजगी का डर भी सताया. जेडीयू की बैठक के अंदर की खबरें बाहर आने के बाद आज नीतीश ने अपने संसदीय दल के नेता ललन सिंह को मीडिया के सामने उतारा. सिर्फ ये बताने के लिए की नीतीश कहीं नहीं जा रहे हैं. वे बीजेपी के साथ थे, हैं और आगे भी पूरी मजबूती से रहेंगे.
ललन सिंह से सफाई
दरअसल, जेडीयू की बैठक के बाद उसकी कार्यवाही की मीडिया के सामने ब्रीफिंग पार्टी के प्रवक्ता या अध्यक्ष करते रहे हैं. लेकिन आज जेडीयू ने इसके लिए खास तौर पर ललन सिंह को भेजा. ललन सिंह लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता है. नीतीश के सबसे करीबियों में से एक. जाहिर है वे मीडिया से बात करने आये तो लगा कि कोई खास मैसेज देना होगा. ललन सिंह जब बोले तो पता चल गया कि वो खास मैसेज क्या था.
ललन बोले- NDA से अलग होने का कोई सवाल ही नहीं
ललन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की शुरूआत में औपचारिकता के नेता ये बताया कि उमेश कुशवाहा को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है. दो लाइन के बाद सीधे असल मुद्दे पर आये. ललन सिंह बोले “दो दिनों तक हमारी पार्टी की बैठक चली, बैठक में क्या हुआ कई तरह की अटकलें मीडिया में लगायी जाती रहीं, हम लोगों के नेता नीतीश कुमार जी के बारे में. कभी कोई कहीं भेज दे रहा है, कोई कहीं और भेज दे रहा है. लेकिन हम एक बात साफ कर देना चाहते हैं, हमारी पार्टी NDA के साथ है और मजबूती के साथ NDA के साथ रहेगी. हम कहीं और जाने वाले नहीं हैं.”
ललन सिंह मीडिया के सामने सिर्फ 5 मिनट बोले. 5 मिनट में सबसे खास बात यही थी कि नीतीश कुमार और जेडीयू बीजेपी को छोड़ कर कहीं और नहीं जा रही है. जेडीयू के एक सीनियर नेता ने बताया कि ललन सिंह यही मैसेज देने मीडिया के सामने आये थे. उन्हें खास तौर पर इसके लिए ही भेजा गया था.
बीजेपी से डरे नीतीश
दरअसल शनिवार से ही खबर आ रही थी कि जेडीयू की बैठक में बीजेपी को धोखेबाज बताया जा रहा है. बैठक के अंदर पार्टी के एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने बीजेपी पर बड़ा हमला बोला था. साफ साफ कहा कि उनकी पार्टी चुनाव हारी नहीं हरवायी गयी और हरवाने का काम बीजेपी ने किया. खुद नीतीश कुमार ने जब भाषण दिया तो कहा कि चुनाव के दौरान उन्हें पता ही नहीं चल पाया कि कौन दुश्मन है और कौन दोस्त है. नीतीश ने बीजेपी का नाम लिये बगैर उस पर खूब हमला बोला था.
ये तमाम बातें मीडिया में आयीं. जाहिर है ये बातें बीजेपी के पास भी पहुंची. नीतीश कुमार को इसका पता था. वे जानते हैं कि बीजेपी की नाराजगी के क्या मायने मतलब हो सकते हैं. नीतीश को जानने वाले जानते हैं कि वे कुर्सी गंवाने का रिस्क कतई नहीं ले सकते थे. कुर्सी बचाये रखने के लिए वे दूसरे रास्ते तलाश सकते थे लेकिन तेजस्वी यादव ने जिस तेवर के साथ नीतीश को रिजेक्ट किया उससे वो रास्ता फिलहाल बंद हो चुका है. ऐसे में अगर बीजेपी नाराज हो जाये तो फिर कुर्सी पर बैठे रहना भी मुश्किल हो जायेगा.
बीजेपी को आश्वस्त करने के लिए ही आज ललन सिंह को मैदान में उतारा गया. ललन सिंह के बीजेपी से मधुर रिश्ते जगजाहिर रहे हैं. जेडीयू में आरसीपी सिंह और ललन सिंह ऐसे दो नेता रहे हैं जिनके बीजेपी से काफी बेहतर रिश्ते रहे हैं. लोगों को वो दौर याद होगा जब बीजेपी संसद में धारा 370, ट्रिपल तलाक और CAA जैसे बिल पास करा रही थी. नीतीश कुमार पहले से कहते आ रहे थे कि वे ऐसे फैसलों का विरोध करेंगे. लेकिन ललन सिंह और आरसीपी सिंह जैसे नेताओं ने ही बीच का रास्ता निकाला था. जेडीयू ने संसद में वोटिंग के दौरान बॉयकाट कर बीजेपी की अप्रत्यक्ष तौर पर मदद की थी. जेडीयू और बीजेपी के बीच तनाव के उस दौर में जब पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर नरेंद्र मोदी पर हमला बोल रहे थे तो ललन सिंह-आरसीपी सिंह की जोड़ी ने बीजेपी के पक्ष में मोर्चा खोला था.
यही वो तमाम परिस्थितियां थी जिसके कारण आज ललन सिंह को आगे किया गया. ताकि बीजेपी को ये डर न हो कि नीतीश कुमार पाला बदलने की जुगत में है. नीतीश जानते हैं कि अगर बीजेपी को ये लगा कि पाला बदल का खेल होने वाला है तो फिर वह बड़े कदम उठा सकती है. इसका परिणाम भी नीतीश कुमार अच्छी तरह से समझते हैं.