सिद्दीकी के घर नीतीश का भोजन: BJP को मैसेज दे रहे हैं नीतीश कुमार, फिलहाल RJD से दोस्ती के आसार नहीं

सिद्दीकी के घर नीतीश का भोजन: BJP को मैसेज दे रहे हैं नीतीश कुमार, फिलहाल RJD से दोस्ती के आसार नहीं

PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज अचानक से राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के घर भोजन करने क्यों पहुंच गये? सियासी हलके में इस सवाल का जवाब शिद्दत से तलाशा जा रहा है. क्या राजद में टूट होगी या फिर नीतीश कुमार सिद्दीकी के जरिये लालू यादव से फिर से दोस्ती की भूमिका बना रहे हैं. दोनों सवालों का जवाब एक ही है और वो है नहीं. नीतीश कुमार BJP को मैसेज दे रहे हैं. अगर बीजेपी कुछ अलग सोच रही है तो नीतीश भी तैयार हैं. गैरों पे करम, अपनों पे सितम बिहार में इस दफे आयी बाढ़ के बाद रिलीफ बांटने में नीतीश कुमार ने बीजेपी के तमाम नेताओं को दूर रखा है. नीतीश जानते हैं कि पीड़ितों के खाते में जा रहा रिलीफ का 6 हजार रूपया चुनाव में उनके लिए वोट बरसायेगा. लिहाजा रिलीफ के श्रेय से बीजेपी को अलग रखने की पूरी कोशिश की गयी. रिलीफ बांटने की शुरूआत के मौके पर आयोजित सरकारी कार्यक्रम में डिप्टी सीएम सुशील मोदी तक को नहीं पूछा गया. बाढ़ के बाद नीतीश के ताबड़तोड़ हवाई दौरे में सुशील मोदी को हैलीकॉप्टर की सवारी करने का मौका नहीं मिला. नीतीश के बाढ वाले कार्यक्रमों में बीजेपी के स्थानीय विधायकों तक को पूछा नहीं जा रहा है. लेकिन नीतीश कुमार आज राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी के घर भोजन करने पहुंच गये. नीतीश कुमार आज बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत के काम का निरीक्षण करने निकले थे. पहले सीतामढी गये और फिर दरभंगा में सिद्दीकी के गांव पहुंच गये. गैरों पे करम, अपनों पे सितम वाली नीतीश की ये अदा बेमानी नहीं है. क्या चाहते हैं नीतीश सियासी जानकार जानते हैं कि नीतीश जब कोई रणनीति तैयार करते हैं तो उसकी खबर अपनी परछाई तक को नहीं लगने देने की भरपूर कोशिश करते हैं. ऐसे में अगर वे खुलेआम अब्दुल बारी सिद्दीकी के घर जा रहे हैं तो इसका ये मतलब कतई नहीं निकाला जा सकता कि वे राजद विधायक दल को तोड़ने में लगे हैं या सिद्दीकी के जरिए लालू यादव तक पहुंचना चाहते हैं. फिर सवाल ये उठता है कि नीतीश चाहते क्या हैं. जवाब एक ही है-नीतीश अपनी सहयोगी पार्टी बीजेपी को मैसेज दे रहे हैं. अगर तुम्हारे इरादे कुछ और हैं तो हम भी तैयार हैं. दरअसल, पिछले दो महीने से जदयू और बीजेपी के बीच आंतरिक घमासान खुल कर सामने आ गया है. सवाल यही पूछा जा रहा है कि दोनों दलों के बीच तलाक की औपचारिकता कब निभायी जायेगी. लेकिन नीतीश जानते हैं कि राजद से दोस्ती फिलहाल आसान नहीं है. वे तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण गठबंधन तोड़ चुके हैं. फिर तेजस्वी के साथ ही सरकार बनाना उनकी बची खुची छवि को भी मटियामेट कर देगा. लिहाजा राजद से दोस्ती मुश्किल है. दूसरा रास्ता ये है कि वे राजद विधायकों को तोड़ लें. लेकिन दल बदल कानून के तहत राजद विधायक दल में टूट के लिए 53 विधायक चाहिये. नीतीश राजद के विधायकों के संपर्क में हैं. लेकिन मुश्किल 15-16 विधायक ही उनके साथ आने को तैयार दिख रहे हैं. 53 की संख्या पूरा कर पाना उनके लिए असंभव लग रहा है. ऐसे में रास्ता यही बचता है कि फिलहाल बीजेपी के साथ ही रहा जाये. लेकिन इस मैसेज के साथ कि अगर बीजेपी गठबंधन तोड़ना चाहे तो नीतीश भी उसके लिए तैयार हैं. बिहार के मुख्यमंत्री ने अपनी सहयोगी पार्टी को यही संदेश देने के लिए सिद्दीकी के घर का रास्ता चुना.