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1st Bihar Published by: 9 Updated Sun, 14 Jul 2019 04:14:21 PM IST
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PATNA: बिहार विधानमंडल के नए भवन का निर्माण नीतीश सरकार के लिए किसी ड्रीम प्रोजेक्ट से कम नहीं था। विधानमंडल का पुराना भवन जब कामकाज के दबाव में छोटा पड़ने लगा तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पहले ही कार्यकाल में नए विधानमंडल भवन की नींव रखी। 26 जनवरी 2010 को इस इमारत का शिलान्यास किया गया 6 सालों के बाद नए विधान मंडल भवन का निर्माण पूरा हुआ तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवंबर 2016 में इसका उद्घाटन किया। करोड़ की लागत से बने विधान मंडल भवन का निर्माण कई विवादों के बीच पूरा हुआ। https://youtu.be/LI9jESj-uIo जिस एजेंसी को काम का जिम्मा मिला उसने समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं किया। 25 हजार 840 वर्ग मीटर में फैले इस नए विधान मंडल भवन में सेंट्रल हॉल के अलावे मंत्रियों और विधानसभा समितियों के अध्यक्षों के लिए 45 चेंबर हैं। नए विधान मंडल भवन को बने महज 3 साल हुए हैं लेकिन फर्स्ट बिहार झारखंड की टीम अब आपको दिखाने जा रहे हैं कि आखिर करोड़ों की राशि खर्च करके जिस बिल्डिंग का निर्माण कराया गया उसकी मौजूदा हालत क्या है। नए विधानमंडल बिल्डिंग के हर हिस्से में दरारें दिख रही हैं। ऐसा लगता है जैसे यह बिल्डिंग सालों पुरानी है और इसकी मरम्मत भी नहीं कराई गई है। उद्घाटन के 3 साल के अंदर बिल्डिंग की हालत अगर इतनी खस्ता है तो फिर मामला सीधे-सीधे क्वालिटी से जुड़ा है। हम आपको बता दें कि इस बिल्डिंग का निर्माण आईवीआरसीएल जैसी बड़ी कंपनी ने कराया था। आईवीआरसीएल वही कंपनी है जिसकी तरफ से बनाई जा रही ब्रिज कोलकाता में जमींदोज हो गई थी। उत्तरी कोलकाता के गणेश टॉकीज के पास 2016 में ब्रिज हादसा हुआ था। हादसे के बाद आईवीआरसीएल के ऊपर घटिया क्वालिटी के निर्माण का आरोप लगा था। शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तमाम विधायकों और विधान पार्षदों के साथ नए विधान मंडल भवन के सेंट्रल हॉल में जलवायु परिवर्तन और जल संकट पर रणनीति बनाते रहे लेकिन किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं कि जिस इमारत में संकट से निपटने पर चर्चा होती रही वह खुद संकट में दिखने लगी है। पटना से गणेश सम्राट की रिपोर्ट