चुनाव से पहले खुल गयी भूमिहारों की एक और दुकान, BJP में किनारे किये गये सच्चिदानंद राय को याद आयी जाति

चुनाव से पहले खुल गयी भूमिहारों की एक और दुकान, BJP में किनारे किये गये सच्चिदानंद राय को याद आयी जाति

PATNA: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में भूमिहारों की एक और दुकान खुल गयी है. भाजपा में किनारे कर दिये गये MLC सच्चिदानंद राय की रैली करने जा रहे हैं. हालांकि सच्चिदानंद राय ये कह रहे हैं कि इस रैली में भूमिहारों के साथ साथ ब्राह्मणों को भी एकजुट करेंगे. लेकिन कवायद पर गंभीर सवाल खड़े किये जा रहे हैं.



अटल के नाम पर जातीय रैली

दरअसल सच्चिदानंद राय ने 28 दिसंबर को पटना में अटल स्वाभिमान सभा करने का एलान किया है. उनका दावा है कि इसमें भूमिहारों के साथ साथ ब्राह्मणों को भी जुटाया जायेगा और दोनों जातियों के बीच एकता बनायी जायेगी. लिहाजा इस संगठन का नाम ब्रह्मजन चेतना मंच रखा गया है. इस जातीय सम्मेलन का आयोजन अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया जा रहा है.

सच्चिदानंद राय पर उठे गंभीर सवाल

भाजपा के MLC सच्चिदानंद राय के जातीय सम्मेलन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. ब्राह्मण विचार मंच के संयोजक रमेश चंद्र पांडेय के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी जातीय सम्मेलनों के धुर विरोधी थे. एक बार ब्राह्मणों के ही एक संगठन ने उन्हें अपने सम्मेलन में आने का न्योता दिया था तो वाजपेयी हद से ज्यादा नाराज हो गये थे. उन्होंने संसद में अपने भाषण के दौरान अपनी इस नाराजगी को जाहिर किया था. अब उनके नाम पर जातीय सम्मेलन करना अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान व्यक्तित्व का अपमान करना ही माना जायेगा.

भूमिहारों को भी सच्चिदानंद राय की रैली पर आपत्ति

ब्रह्मर्षि जागरण मंच के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा ने सच्चिदानंद राय की रैली पर कड़ी आपत्ति जतायी है. विशाल शर्मा का आरोप है कि सच्चिदानंद राय को चुनावी लाभ के लिए जाति की याद आयी है. अब तक इस राज्य में भूमिहारों और ब्राह्मणों के उत्पीड़न की लगातार घटनायें हुईं. लेकिन सच्चिदानंद राय कहीं नजर नहीं आये. विशाल शर्मा के मुताबिक सच्चिदानंद राय को 2020 में भाजपा से विधानसभा चुनाव का टिकट चाहिये. लिहाजा उन्हें जाति की याद आयी है.

सच्चिदानंद राय क्यों कर रहे हैं सम्मेलन

दरअसल सच्चिदानंद राय भाजपा में किनारे लगा दिये गये हैं. पार्टी नेतृत्व उनका नोटिस नहीं ले रहा है. लोकसभा चुनाव के वक्त उन्होंने पार्टी से नाराजगी जतायी थी. उस वक्त उन्हें ये भरोसा दिलाया गया था कि लोकसभा चुनाव के बाद उनके बारे में विचार किया जायेगा. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद पार्टी ने उन्हें निशाने पर ले लिया है. पार्टी की किसी बैठक या कार्यक्रम में उन्हें तवज्जों नहीं मिल रही है. वैसे सच्चिदानंद राय पहले लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. टिकट नहीं मिला तो विधानसभा चुनाव के दावेदार हो गये हैं. लेकिन पार्टी उन्हें कोई तरजीह देने के मूड में नहीं है. लिहाजा उन्होंने जाति का अस्त्र निकाला है. पटना में अपनी ताकत दिखा कर वे पार्टी पर प्रेशर बनाना चाह रहे हैं.

सामाजिक परिवर्तन का दावा

उधर सच्चिदानंद राय अपनी रैली से सामाजिक परिवर्तन का दावा कर रहे हैं. उनके मुताबिक वे समाज सेवा के लिए रैली कर रहे हैं. रैली करके वे भूमिहारों के साथ साथ ब्राह्मणों की बेहतरी का प्लान तैयार करेंगे.