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BPSC के 10 साल पुराने रिजल्ट में गड़बड़ी, मेधा सूची को नए सिरे से निकालने का हाईकोर्ट ने दिया आदेश

1st Bihar Published by: Updated Wed, 25 Sep 2019 09:20:07 PM IST

BPSC के 10 साल पुराने रिजल्ट में गड़बड़ी, मेधा सूची को नए सिरे से निकालने का हाईकोर्ट ने दिया आदेश

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PATNA: बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित 48 -52वें प्रतियोगिता परीक्षा के रिज़ल्ट में महिला उम्मीदवारों को आरक्षण लाभ देने में हुई गड़बड़ी को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने बीपीएससी को आरक्षित वर्ग के चयनित अभ्यार्थियों की मेधा सूची को नए सिरे से  निकालने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय की एकलपीठ ने सुजाता कुमारी की रिट याचिका को सुनते हुए उक्त आदेश दिया. इस आदेश का परिणाम से हो सकता है कि बीपीएससी की 48वीं से लेकर 52वीं  प्रतियोगिता परीक्षा में सफल हुए कुछ उम्मीदवारों के रैंक व उससे मिलने पद से हट कर उन्हें किसी दूसरे सेवा में जाना पड़े और तो और किसी के नौकरी भी खतरें में पड़ सकती. यदि वे नए सिरे से बनाये मेरिट लिस्ट से बाहर हुए तो.

बीपीएससी ने सूची बनाने के दौरान की गड़बड़ी

मामला सेवा में आरक्षण नियम का पालन नहीं किये जाने का था. याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ प्रसाद ने कोर्ट को बताया की आरक्षण नियम के सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने जो कानून तय किया था उसका उल्लंघन खुद बीपीएससी ने मेधा सूची बनाते वक्त किया.सुजाता ने 2010 में आयोजित बीपीएससी की (48वीं से 52वीं )  परीक्षा दी थी. इस छात्रा ने महिला (आरक्षित) कोटे से परीक्षा दी थी . 10 अप्रैल 2010 को बीपीएससी ने फाइनल रिजल्ट निकाला और उस परीक्षा के आधार पर सुजाता को श्रम उपाधीक्षक का पद मिला. उसके बाद उसने परीक्षा में अनियमितता को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. सुजाता को अपने आरक्षित वर्ग में जो रैंक था उससे कई रैंक नीचे आने वाले उसी आरक्षित वर्ग के सफल प्रत्याशी को बिहार प्रशासनिक सेवा मिली थी जबकि सुजाता को ऊंचा रैंक होते हुए भी श्रम सेवा मिला.

कई की जा सकती है नौकरी

एडवोकेट सिद्धार्थ ने कोर्ट को बताया कि महिला के आरक्षण कोटे में जो मेरिट लिस्ट तैयार किया गया था उसमें सुजाता मेधा सूची में 325 वें स्थान पर थी. उसने बिहार प्रशासनिक सेवा को पहली प्राथमिकता दी थी. लेकिन मेरिट लिस्ट में रहने में ऊपर रहने के बावजूद उसे श्रम उपाधीक्षक का पद दिया गया. जबकि मेरिट लिस्ट में कम स्थान पाने वाली कुछ प्रत्याशी को बिहार प्रशासनिक सेवा और बिहार पुलिस सेवा में नियुक्त कर लिया गया. सुनवाई के दौरान  बीपीएससी ने भी माना की उसकी मेधा सूची जो है , वह सुप्रीम कोर्ट के तय किए गए नियम के अनुसार होती नहीं दिखती. इस पर अदालत ने कहा कि अब नए सिरे से मेरिट लिस्ट प्रकाशित कर अभ्यर्थियों को उनकी मेरिट लिस्ट की योग्यता के अनुसार पद दिए जाएं. जो पहले डीएसपी के पद पर कार्यरत थी अब उन्हें किसी छोटे पद पर आना पड़ेगा.मेरिट लिस्ट से नीचे आने पर कुछ की नौकरी भी जा सकती है.