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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 31 Oct 2025 07:39:57 PM IST
 
                    
                    
                    - फ़ोटो File
PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव में वोटिंग के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार अपनी विकास उपलब्धियों को जनता के सामने रख रहे हैं। इस बार उन्होंने राज्य की बिजली व्यवस्था में आए क्रांतिकारी बदलाव को लेकर एक लंबा पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया है। इस पोस्ट में उन्होंने बताया है कि किस तरह 2005 से पहले अंधेरे में डूबे बिहार को उन्होंने “ऊर्जस्वित बिहार” में बदल दिया।
हम बिहार को लालटेन युग से बिजली युग में ले आए
अपने विस्तृत सोशल मीडिया पोस्ट में नीतीश कुमार ने लिखा है “आप सभी को पता है कि 2005 से पहले बिहार में बिजली की क्या स्थिति थी। पूरा प्रदेश अंधेरे में डूबा रहता था। पटना में मुश्किल से 7-8 घंटे बिजली मिलती थी, जबकि गांवों में बिजली नाम की चीज नहीं थी।”
तार और खंभों पर कपड़े सूखते थे
नीतीश कुमार ने बताया है कि उस दौर में लोग रात में अचानक बिजली आने पर पानी की मोटर चलाने के लिए भागते थे, क्योंकि यह भरोसा नहीं होता था कि बिजली दोबारा कब आएगी। उन्होंने कहा कि “तार जर्जर थे, ट्रांसफार्मर जले रहते थे और खंभों पर कपड़े सुखाए जाते थे।”
2005 से पहले की बदहाल स्थिति
नीतीश ने पुराने दौर की स्थिति का ब्योरा देते हुए कहा है कि 2005 तक राज्य में बिजली की अधिकतम आपूर्ति 700 मेगावाट थी और प्रति व्यक्ति खपत सिर्फ 75 यूनिट थी। उस दौर में उपभोक्ताओं की संख्या मात्र 17.31 लाख थी। कृषि के लिए बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी।
नीतीश कुमार ने कहा है कि 2205 से पहले बिहार में उद्योग-धंधे ठप थे और युवाओं के सपने अंधेरे में खो चुके थे। बिजली चोरी आम बात थी और प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह असक्षम थी। नीतीश के अनुसार, वह दौर सिर्फ बिजली की कमी का नहीं बल्कि “बदइंतज़ामी और लापरवाही” का था।
हमने हालात बदल दिए
नीतीश कुमार ने अपने पोस्ट में बताया कि 24 नवंबर 2005 को जब उनकी सरकार बनी, तब उन्होंने बिजली व्यवस्था को सुधारने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा है- “2012 में गांधी मैदान से मैंने कहा था कि अगर बिजली की स्थिति नहीं सुधरी, तो मैं वोट मांगने नहीं आऊंगा।” इसके बाद सरकार ने कई अहम कदम उठाए । 2012 में बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को खत्म कर 5 नई विद्युत कंपनियां बनाई गईं। ग्रामीण विद्युतीकरण को प्राथमिकता दी गई। बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन में बड़े सुधार किए गए।
2018 में हर घर बिजली
नीतीश कुमार ने बताया कि वर्ष 2015 में उन्होंने ‘हर घर बिजली’ निश्चय योजना की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा है कि हमने तय समय से दो महीने पहले अक्टूबर 2018 में सभी इच्छुक घरों को बिजली कनेक्शन दे दिया। इस दौरान बड़े पैमाने पर ग्रिड उपकेंद्र, ट्रांसफार्मर और नई विद्युत लाइनें बिछाई गईं। कृषि के लिए डेडीकेटेड फीडर बनाए गए और किसानों को सिर्फ 55 पैसे प्रति यूनिट की दर पर सस्ती बिजली दी जा रही है। सरकार ने इसके लिए 2024-25 में 4,395 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है।
सौर ऊर्जा और आधुनिक बिहार
मुख्यमंत्री ने बताया है कि राज्य के सरकारी और निजी भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि “अब बिहार शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली सप्लाई देने में सक्षम है।”
ऐसे हुआ बिहार का कायाकल्प
वर्तमान स्थिति के आंकड़े बताते हैं कि बिजली आपूर्ति 700 मेगावाट से बढ़कर 8,000 मेगावाट से ज्यादा हो गई। बिजली उत्पादन क्षमता 540 मेगावाट से बढ़कर 8,850 मेगावाट से अधिक हुई। प्रति व्यक्ति खपत 363 यूनिट हो गई , जो 5 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी है ।
बिहार में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 17 लाख से बढ़कर करीब 2.25 करोड़ हो गई। ग्रिड उपकेंद्रों की संख्या 172, और विद्युत उपकेंद्रों की संख्या 1,260 पहुंच गई। ट्रांसफार्मर की संख्या 3.5 लाख, जबकि संचरण लाइन की लंबाई 20 हजार किमी से ज्यादा हो गई है।
हमने मुफ्त बिजली दी
नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य के उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का भार कम करने के लिए सरकार लगातार अनुदान दे रही है। वर्ष 2024-25 में 15,343 करोड़ रुपये का विद्युत अनुदान दिया गया है। उन्होंने कहा है कि अब हम राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दे रहे हैं। इसके अलावा, अगले तीन वर्षों में हर उपभोक्ता के घर या आस-पास सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की योजना है।
अब लालटेन युग में वापस नहीं लौटेंगे
मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट के अंत में लिखा है कि “हमने बिहार को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाकर ‘ऊर्जस्वित बिहार’ का सपना पूरा किया है। अब लालटेन युग कभी नहीं लौटेगा। हम जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं। आगे भी बिहार के चहुंमुखी विकास के लिए काम करते रहेंगे।”
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार के सोशल मीडिया पोस्ट सिर्फ सरकारी उपलब्धियों की याद नहीं दिला रहे, बल्कि चुनावी रणनीति का हिस्सा भी है। लालू यादव और आरजेडी पर नीतीश कुमार का यह सीधा हमला माना जा रहा है।