PATNA : अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जनता दल यूनाइटेड ने बीजेपी से गठबंधन की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के कंधों पर दे दी है. पिछले दिनों दिल्ली में हुई केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में आरसीपी सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह बीजेपी से बातचीत कर इस मामले पर सहमति बनाएं कि एनडीए गठबंधन में जेडीयू को भी सीटें दी जाए. पार्टी नेतृत्व की तरफ से यह जिम्मेदारी मिलने के बाद आरसीपी सिंह लगातार बीजेपी के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं. आरसीपी सिंह ने खुद कहा है कि वह बीजेपी के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं से इस बात का अनुरोध कर रहे हैं कि बिहार की तर्ज पर यूपी विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन रहे.
पटना में अपने आवास पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि "2017 में हमने काफी परिश्रम किया था लेकिन कई कारणों की वजह से हम चुनाव नहीं लड़ पाए. इसबार पार्टी ने निर्णय लिया है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जेडीयू लड़ेगी. बिहार में जेडीयू बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए की सरकार चला रही है. इसी प्रकार जेडीयू को यूपी में भी बीजेपी के साथ रहना चाहिए."
आरसीपी सिंह ने आगे कहा कि "यूपी चुनाव में जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़े, इसके लिए बीजेपी के प्रदेश नेता और राष्ट्रीय नेताओं से बातचीत चल रही है. सबसे मेरी मुलाकात हुई है और हमने अनुरोध किया है कि बिहार की तरह यूपी में भी जेडीयू बीजेपी के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ना चाहती है."
गौरतलब हो कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर दिल्ली में जेडीयू की बैठक हुई. राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रधान महासचिव केसी त्यागी के साथ साथ आरसीपी सिंह भी बैठक में मौजूद थे. पार्टी सूत्र बताते हैं कि बैठक में क्या बातचीत होगी ये पहले से ही तय था. वहां आरसीपी सिंह को ये कह दिया गया कि उनके बीजेपी के आला नेताओं से अच्छे ताल्लुकात है. लिहाजा वे ही भाजपा से बात करें और जेडीयू को कम से कम 25 सीटें दिलवाये. सूत्र बता रहे हैं कि आरसीपी सिंह को ये भी कहा गया कि वे बीजेपी को बतायें कि जेडीयू की दावेदारी उत्तर प्रदेश की कम से कम 50 विधानसभा सीटों पर बनती है पर गठबंधन में वह 25 सीट तक मानने को तैयार है.
आरसीपी सिंह को फंसाने की नयी चाल
ये जगजाहिर हो चुका है कि आरसीपी सिंह मोदी सरकार में मंत्री कैसे बन गये. मंत्री बनने के बाद से पार्टी के भीतर आरसीपी सिंह के पर कतरे जा रहे हैं. पटना का जेडीयू कार्यालय आरसीपी सिंह मुक्त करा लिया गया. कई सालों से जेडीयू दफ्तर का कामकाज देखने वाले अनिल कुमार और चंदन कुमार जैसे आऱसीपी सिंह समर्थकों को प्रदेश कार्यालय से बाहर कर दिया गया. आरसीपी सिंह के कट्टर समर्थक माने वाले जेडीयू आईटी सेल के प्रमुख अमरदीप कुमार को इस्तीफा देने पर बाध्य कर दिया गया. आज ही जेडीयू के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई उसमें भी आरसीपी सिंह के किसी हार्डकोर समर्थक को जगह नहीं मिली.
लेकिन पार्टी नेतृत्व ने आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए बीजेपी से बातचीत करने को अधिकृत कर दिया. दरअसल केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान कर रहे हैं. पार्टी के फोरम पर भी वे बीजेपी की मनमाफिक बात करते रहे हैं. नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना को सबसे बडा मुद्दा बनाया तो आरसीपी सिंह ने इस मसले पर बीजेपी जैसी भाषा में बयान दे दिया.
उत्तर प्रदेश में JDU को एक भी सीट नहीं देगी भाजपा
जेडीयू ने ये जानते हुए आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश में चुनावी तालमेल के लिए अधिकृत किया है कि बीजेपी उसे एक भी सीट नहीं देने जा रही है. वैसे हम आपको उत्तर प्रदेश में जेडीयू के पुराने प्रदर्शन की जानकारी दे दें. 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. उस वक्त भी वे बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे थे. उन्होंने तब भी बीजेपी से कुछ सीटें मांगी थी. लेकिन बीजेपी ने नहीं दिया. नतीजतन 2012 में नीतीश कुमार की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की वैसी हर सीट पर उम्मीदवार उतार दिये थे जहां कुर्मी जाति के वोटरों की अच्छी तादाद थी. बिहार से मंत्री, विधायक से लेकर जेडीयू के सैकड़ो नेताओं को 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तैनात कर दिया गया था. लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो नीतीश कुमार की पार्टी एक भी सीट पर जमानत बचाने में भी सफल नहीं हुई.
दरअसल नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में कुर्मी वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं. लेकिन वहां कुर्मी जाति के वोटरों की पार्टी अपना दल को माना जाता है. बीजेपी एलान कर चुकी है कि वह अपना दल से तालमेल करेगी. अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी बनाया जा चुका है. लिहाजा बीजेपी जेडीयू के लिए सीट छोड़ने की बात तो दूर बातचीत करने तक को तैयार नहीं है.
ऐसे में आरसीपी सिंह को सामने लाया गया है. ये तय है कि आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश में बीजेपी से तालमेल नहीं करा पायेंगे. जेडीयू नेतृत्व उसके बाद आऱसीपी सिंह के मत्थे एक औऱ विफलता मढ देगा. वे केंद्र सरकार में मंत्री और नरेंद्र मोदी-अमित शाह के करीबी रहते हुए भी कुछ नहीं कर पाये.
उधर जेडीयू ने ये भी एलान कर दिया है कि वह उत्तर प्रदेश में 200 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है. इसके लिए उम्मीदवार तलाशे जा रहे हैं. पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी को उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए रणनीति बनाने का काम दिया गया है. लेकिन तय दिख रही करारी हार का ठीकरा आरसीपी सिंह के माथे फोडने की तैयारी भी साथ साथ कर ली गयी है.