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भाजपा का घमंड उसे झारखंड में ले डूबा, आजसू से तालमेल कर लिया होता तो जीत जाती 40 सीटें

1st Bihar Published by: Updated Wed, 25 Dec 2019 04:29:24 PM IST

भाजपा का घमंड उसे झारखंड में ले डूबा, आजसू से तालमेल कर लिया होता तो जीत जाती 40 सीटें

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RANCHI: झारखंड विधानसभा चुनाव में BJP का अहंकार उसे ले डूबा. भाजपा ने अगर सुदेश महतो की आजसू पार्टी से तालमेल कर लिया होता तो इस गठबंधन ने कम से कम 40 सीटों पर जीत हासिल की होगी. विधानसभा चुनाव में कम से 13 सीटें ऐसी रहीं जहां भाजपा और आजसू के बीच वोटों के बंटवारे ने JMM या कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत दिला दी. आंकड़ें बता रहे हैं कि बीजेपी-आजसू का गठबंधन आसानी से सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटा लेता. गठबंधन तोड़ने का नुकसान भाजपा ही नहीं बल्कि आजसू को भी उठाना पड़ा है.

सीटों के बंटवारे पर टूट गया था गठबंधन

झारखंड की पिछली सरकार भाजपा और आजसू साथ मिलकर चला रहे थे. लेकिन चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे पर दोनों पार्टियों में बात नहीं बनी. लिहाजा भाजपा और आजसू ने अलग अलग मैदान में उतरने का फैसला ले लिया. वैसे बीजेपी ने सिल्ली से चुनाव लड रहे आजसू के प्रमुख सुदेश महतो के खिलाफ उम्मीदवार नहीं दिया लेकिन बाकी 79 सीटों पर प्रत्याशी ख़ड़े कर दिये थे. वहीं आजसू ने 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. परिणाम ये हुआ कि भाजपा 25 सीटों पर सिमट गयी वहीं आजसू को सिर्फ 2 सीटें मिलीं. जेएमएम के नेतृत्व वाले महागठबंध ने 47 सीटें जीतीं जिनमें 30 पर JMM, 16 पर कांग्रेस और एक पर RJD को जीत हासिल हुई. इसके अलावा बाबूलाल मरांडी की जेवीएम को 3, माले को एक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को एक और निर्दलीय को 2 सीटें हासिल हुईं. 

भाजपा का घमंड ले डूबा

सियासी जानकार बताते हैं झारखंड चुनाव को लेकर भाजपा कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास में थी. पार्टी नेताओं ने गलत आकलन किया. पहले उन्होंने आजसू की ताकत को बेहद कम आंका फिर ये भी आकलन कर लिया कि आजसू के अलग चुनाव लड़ने से विपक्षी महागठबंधन के वोटों में ही सेंध लगेगी. लेकिन हुआ उलटा. आजसू ने 21 सीटों पर अच्छे खासे वोट लाये. आजसू ने महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध नहीं लगायी बल्कि भाजपा का ही अच्छा खास वोट काट लिया. कम से कम 13 सीटें ऐसी रहीं, जहां आजसू का वोट बीजेपी को मिल जाता तो वो आसानी से चुनाव जीत जाती. 


जानिये कौन सी है वो सीट और क्या रहा वहां का हाल.

1.लोहरदगा सीट-इस सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव चुनाव जीते हैं. उन्हें 74 हजार 380 वोट मिले. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को 44230 और आजसू प्रत्याशी को 39 हजार 916 वोट हासिल हुए. बीजेपी और आजसू के वोटों को जोड़े तो 84 हजार 146 वोट होते हैं. यानि रामेश्वर उरांव तकरीबन दस हजार वोट से चुनाव हार गये होते. 


2.मधुपुर सीट-मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाजी हुसैन अंसारी 87 हजार 624 वोट पाकर चुनाव जीते. जबकि यहां बीजेपी को 64 हजार 883 और आजसू को 45 हजार 453 वोट मिले. दोनों पार्टियों के वोट मिला दिये जायें तो आंकडा 1 लाख 10 हजार 336 वोट पर पहुंचता है. 


3. डुमरी विधानसभा सीट पर भी कहानी ऐसी ही रही जहां झामुमो को जगरनाथ महतो 71 हजार 128 वोट लाकर विधायक चुने गये. यहां बीजेपी को 36 हजार 013 और आजसू को 36 हजार 840 वोट मिले. दोनों के वोटों का जोड़ 72 हजार 853 होता है.


4. ईचागढ़ विधानसभा सीट पर ही हाल ऐसा ही रहा जहां झामुमो की सविता महतो 57 हजार 546 वोट हासिल कर चुनाव जीती. यहां बीजेपी को 38 हजार 485 और आजसू को 38 हजार836 वोट मिले. दोनों को मिलाकर 77 हजार 321 वोट मिले.


5. जामा सीट पर जेएमएम की सीता मुर्मु को 60 हजार 925 वोट मिले और वो विधायक चुन ली गयीं. जबकि यहां भाजपा को 58 हजार 499 और आजसू को 13 हजार 351 वोट मिले. दोनों को मिलाकर वोट की तादाद 71 हजार 850 होती है.


6. जुगसलाई सीट की कहानी ही वैसी रही जहां झामुमो की मंगल कालिंदी ने 88 हजार 581 वोट पाकर जीत हासिल की. जबकि यहां बीजेपी को 66 हजार 647 और आजसू को 46 हजार 779 वोट मिले. दोनों पार्टियों का वोट जोड़े 1 लाख 13 हजार 246 वोट होते हैं. 

 

7. नाला सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के रविन्द्रनाथ महतो को 61 हजार 356 वोट मिले और वे विधायर चुन लिये गये. जबकि यहां बीजेपी को 57 हजार 836 और आजसू को 16 हजार 778 वोट मिले. दोनों को जोड़े तो आंकड़ा 76 हजार 714 वोट पर पहुंचता है. 


8. खिजरी सीट पर कांग्रेस के राजेश कच्छप विधायर चुने गये. राजेश कच्छप को 83 हजार 829 वोट मिले. खिजरी में भाजपा को 78 हजार 360 वोट मिले, वहीं आजसू को 29 हजार 091 वोट मिले. दोनो को मिलाकर 1 लाख 07 हजार 451 वोट मिले. 


9. गांडेय सीट का हाल भी ऐसा ही रहा जहां JMM के सरफराज अहमद 64 हजार 694 वोट लाकर विधायक चुन लिये गये. इस सीट पर भाजपा को 55 हजार 969 और आजसू को 15 हजार 249 वोट मिले हैं. दोनों को जोड़े तो वोटों की संख्या 71 हजार 218 होती है.


10. बड़कागांव सीट पर भाजपा को 29 हजार 912 वोट मिले तो आजसू को 63 हजार 116. जबकि यहां कांग्रेस की अंबा प्रसाद 93 हजार 256 वोट लाकर विधायक चुन ली गयीं.


11. रामगढ़ सीट पर बीजेपी को 31 हजार 011 तो आजसू को 67 हजार 962 वोट मिले. कांग्रेस की ममता देवी विधायक चुनी गयीं जिन्हें 93 हजार 083 वोट मिल. यहां भाजपा और आजसू के वोट को मिला दिया जाये तो दोनों पार्टियों को कुल 98 हजार 973 वोट मिले. 


12. घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में झामुमो के रामदास सोरेन 63 हजार 531 वोट लाकर विधायक चुन लिये गये. इस सीट पर बीजेपी को 56 हजार 807 तो आजसू को 31 हजार 910 वोट मिले. दोनों के वोटों का जोड़ 88 हजार 717 होता है. 


13. चक्रधरपुर सीट पर भी ऐसी ही कहानी दुहरायी गयी, जहां बीजेपी को 31 हजार 598 तो आजसू को 17 हजार 232 वोट मिले. दोनों को मिलाकर 48 हजार 830 वोट मिले जबकि झामुमो के सुखराम उरांव 43 हजार 832 वोट लाकर चुनाव जीत गये.


 
 ये वो 13 विधानसभा सीट हैं, जहां   भाजपा और आजसू के वोटों को जोड़ महागठबंधन के विजयी उम्मीदवार को मिले वोटों से ज्यादा है. आधा दर्जन ऐसी और सीटें हैं जहां बीजेपी और आजसू मिलकर चुनाव लड़ती तो नजारा कुछ और होता. सरायकेला, जरमुंडी, तमाड़, मांडर, सिमडेगा और मनोहरपुर जैसी सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा. यहां भी भाजपा और आजसू का गठबंधन भारी पड़ सकता था.