PATNA : अभी-अभी बड़ी खबर आ रही है। बिहार पुलिस मुख्यालय ने NCRB के आंकड़ों पर आपत्ति जतायी है। बिहार सीआईडी के एडीजी विनय कुमार ने बिहार के क्राइम ग्राफ का आंकड़ा जारी किया है। जिसमें राष्ट्रीय आंकड़ों से तुलना करते हुए उन्होनें कहा कि कम जनसंख्या वाले राज्यों से बड़ी जनसंख्या वाले राज्य बिहार की तुलना सहीं नहीं है।
एडीजी ने एनसीआरबी के आंकड़ों पर कहा कि वो अपराध दर के आधार पर करती है।अपराध की संख्या प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर होती है। उन्होनें कहा कि अपराध के नंबर के आधार पर कोई तुलना नहीं हो सकती है। उन्होनें कहा कि एक तरफ सिकिम्म जैसे छोटे राज्य है जिसकी जनसंख्या छह लाख है वहीं बिहार की जनसंख्या 14 करोड़ और यूपी की जनसंख्या 20 करोड़ से भी ज्यादा है। पुलिस मुख्यालय ने आंकड़ा जारी कर राष्ट्रीय अपराध से बिहार के क्राइम ग्राफ की तुलना कर स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।
एडीजी के आंकड़ों में बिहार और राष्ट्रीय अपराध के औसत दर के बीच दो सालों का तुलनात्मक आंकड़ा पेश कर तुलना करते हुए बताया है कि पहला मापदंड कुल संज्ञेय अपराध होता है। जितनी प्राथमिकियां दर्ज होती हैं वे कुल अपराध की संख्या होती है जिसमें बिहार 23वें स्थान पर है।ये आंकड़ा 2017 की तुलना में बढ़ा-घटा नहीं है। वहीं दूसरे मापदंड IPC( इंडियन पैनल कोड) है जिसमें बिहार 2107 में भी 22वें स्थान पर था इस बार भी उसी पोजीशन पर है। तीसरा मापदंड महिला अपराध की बात होती है तो बिहार की स्थिति सुधरी है हम इसमें 29वें नंबर पर हैं। जबकि 2017 में बिहार 28 वें नंबर पर था।
बता दें कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) ने अपनी रिपोर्ट में देश भर के 19 मेट्रोपॉलिटन शहरों में होनेवाली हत्याओं में पटना को पहले स्थान पर रखा था, तो वहीं अपराध के मामले में बिहार पांचवे स्थान दिया है।