बिहार में जालसाजों ने सरकारी अस्पताल को ही बेच डाला: मंत्री रामसूरत राय के गृह जिले में हुआ कारनामा

बिहार में जालसाजों ने सरकारी अस्पताल को ही बेच डाला: मंत्री रामसूरत राय के गृह जिले में हुआ कारनामा

MUZAFFARPUR: बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय सूबे में अवैध तरीके से जमीन कब्जा करने वालों पर बुलडोजर चलाने के दावे करते आये हैं. लेकिन उनके गृह जिले मुजफ्फरपुर में ही भू-माफियाओं का कारनामा आपको हैरान कर देगा. मुजफ्फरपुर में एक सरकारी अस्पताल की जमीन को जालसाजों ने अपनी जमीन बताकर उसे बेच दिया है. जमीन रजिस्ट्री हो गयी है. स्थानीय मुखिया ने जब इस जालसाजी को पकड़ कर आवाज उठायी तो मामला खुला है.


बिक गयी अस्तपाल की जमीन

मामला मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी प्रखंड के मुरौल उप स्वास्थ्य केंद्र का है. ये सरकारी उप स्वास्थ्य केंद्र काफी पुराना है. हालांकि इसका भवन जर्जर हो चुका है लेकिन सरकार अब भी यहां स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े काम करती है. कुछ दिन पहले यहां कोरोना वैक्सीनेशन का ड्राइव चला था. सरकार ने वहां एक नर्स को भी तैनात कर रखा था जो ग्रामीणों को चिकित्सा में मदद करती थी. लेकिन अब इस सरकारी अस्पताल की जमीन ही बिक गयी है. वैशाली के रहने वाले सत्येंद्र कुमार ने इसे अपनी निजी जमीन बताते हुए बेच डाला है. अस्पताल की 36 डिसिमिल जमीन की बिक्री इस साल फरवरी में कर दी गयी. पास के ही गांव जमहरुआ के राजीव, पवन, अरुण और टुनटुन के नाम जमीन की रजिस्ट्री कर दी गयी.


मुखिया की सक्रियता से खुली पोल

सरकारी अस्पताल की जमीन की रजिस्ट्री बड़े आराम से हो गयी. सरकारी रजिस्ट्री ऑफिस ने इसकी खरीद बिक्री भी कर दी. लेकिन मामला तब खुला जब स्थानीय मुखिया अजय कुमार निराला सक्रिय हुए. मुखिया ने पिछले 9 अप्रैल को ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को पत्र लिख कर इस जमीन की फर्जी तरीके से बिक्री करने की जानकारी दी थी और इस पर अविलंब रोक लगाने की मांग की थी. मुखिया ने स्थानीय सीओ और दूसरे अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी थी. 


इस बीच जालसाजों ने अस्पताल की जमीन का दाखिल-खारिज करने के लिए अंचल कार्यालय में आवेदन दे दिया. लेकिन मुखिया ने पहले ही पत्र लिख कर जालसाजी की जानकारी दे दी थी. लिहाजा अंचल कार्यालय में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती थी. स्थानीय सीओ ने सरकारी जमीन का मामला करार देते हुए दाखिल खारिज पर रोक लगायी. सीओ ने जिला प्रशासन को इसकी रिपोर्ट भेजकर अवगत कराया है. मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन भी हैरान है. फिलहाल जमीन की जमाबंदी और दाखिल-खारिज पर रोक लगा दी गयी है. 


47 साल पुराना है ये अस्पताल

जालसाजों ने जिस सरकारी उप स्वास्थ्य केंद्र की जमीन को बेच डाला है वह 47 साल पुराना है. 1975 में सरकार ने इस स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण कराया था लेकिन सरकार ने इसकी जमाबंदी नहीं करायी. स्थानीय किसान संजीव कुमार ने बताया कि गांव में अस्पताल बनाने के लिए उनके दादा स्वर्गीय सीताराम ठाकुर ने ये जमीन दान में दी थी. उन्होंने बिहार के राज्यपाल के नाम से इस जमीन की रजिस्ट्री कर दी थी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग या जिला प्रशासन के पास इसका कोई कागजात नहीं है. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या जानबूझ कर कागजात गायब कर दिये गये हैं. 


रजिस्ट्री ऑफिस पर गंभीर सवाल

बिहार सरकार के नियमों के मुताबिक किसी जमीन की रजिस्ट्री से पहले उसकी जांच पडताल करनी होती है. जालसाजों ने जिस जमीन को बेचा वहां सरकारी अस्पताल बना हुआ है. लेकिन रजिस्ट्री के कागज में किसी भवन का कोई जिक्र नहीं किया गया है. सरकार के जमीन के रिकार्ड में ये जमीन किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं है. फिर कैसे सत्येंद्र कुमार ने जमीन बेच डाला.