PATNA : बिहार में बिजली कंपनियों का निजीकरण नहीं होगा। नीतीश सरकार ने एक बार फिर से साफ कर दिया है कि बिहार में बिजली कंपनियों के निजीकरण के पक्ष में वह नहीं है। केंद्र सरकार की तरफ से बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव को बयार ने ठुकरा दिया है।
बिहार सरकार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि जो प्रावधान राज्यहित में नहीं थे, उस पर बिहार की आपत्ति दर्ज की है। प्राइवेटाइजेशन जैसे विषयों पर हम पहले भी अपनी आपत्ति कर चुके हैं। अब कई मुद्दों पर हमारे बीच सहमित नहीं है। बिजली समवर्ती सूची में है, इसमें केन्द्र और राज्य दोनों की संयुक्त जिम्मेवारी है। ऐसे में राज्य की बात सुनी जानी चाहिए।
बिहार ने सब लाइसेंसिंग को लेकर सवाल उठाए हैं। उसका मानना है कि यह प्राइवेटाइजेशन का रास्ता खोलेगा। ऐसे उसने केन्द्र से इस टर्मिनोलॉजी को पूरी तरह परिभाषित करने का भी अनुरोध किया है। उसका कहना है कि आखिर अधिनियम में इसका प्रयोग किस रूप में किया जाएगा? यदि यह पावर सेक्टर में निजी क्षेत्र के लिए द्वार खोलने का रास्ता है तो बिहार इसका समर्थन नहीं कर सकता।
बता दें कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम में संशोधन को लेकर ड्राफ्ट प्लान बिहार को भेजा था। इस पर उससे मंतव्य मांगा गया था। बिहार ने केन्द्र के नए विद्युत अधिनियम के कई प्रावधानों का विरोध किया है। काफी मंथन के बाद ऊर्जा विभाग ने पिछले दिनों पत्र को अंतिम रूप दिया था।