बिहार में बाढ़ पर सियासत, नीरज कुमार ने कहा- पानी में मछली पकड़ने की सलाह देते थे लालू यादव

बिहार में बाढ़ पर सियासत, नीरज कुमार ने कहा- पानी में मछली पकड़ने की सलाह देते थे लालू यादव

PATNA : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार का लालूवाद विचारधरा से जुड़े सवाल पूछने का सिलसिला जारी है. अपने 10वें सवाल में नीरज ने लालू यादव पर बाढ़ पीड़ितों का मज़ाक बनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने लालू-राबड़ी राज और नीतीश कुमार के शासनकाल की तुलना करते हुए दोनों में मौलिक अंतर बताए हैं. 


नीरज ने कहा कि एक तरफ जहां लालू यादव ने बाढ़ पीड़ितों का मज़ाक बनाया तो वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने खजाने पर पहला हक़ आपदा पीड़ितों को दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के हर खेत को सिर्फ बरसात में नहीं, बल्कि पूरे साल भर हरा-भरा रखने का एक बड़ा सपना देखा है, जिसे साकार करने के लिए उन्होंने अपने 'सात निश्चय 2' में 'हर खेत तक सिंचाई का पानी' पहुंचाने का संकल्प लिया है. जल संसाधन विभाग वृहद एवं मध्यम सिंचाई, सिंचाई छमता का विकास, अधिषेष जल प्रबंधन, सुरक्षात्मकक प्रबंध,  बाढ़ से सुरक्षा और जल निस्सरण की योजनाओं के साथ-साथ महत्वाकांक्षी 'जल-जीवन-हरियाली' अभियान के तहत पेयजल के रूप में उपयोग के लिए नदी जल के बड़े स्तर पर स्थानांतरण की महत्वाकांक्षी 'गंगा जल उद्वह योजना' का कार्यान्वयन सफलता पूर्वक कर रहा है. 


गया में बिहार का पहला रबड़ डैम, भौतिकीय प्रतिमान केन्द्रं अन्य' महत्व पूर्ण योजनाओं पर काम चल रहा है, इतना ही नहीं नए तकनीक का फलाफल यह हुआ कि पटना में स्थापित गणितीय प्रतिमान केंद्र द्वारा बाढ़ 2020 के दौरान पहली बार मॉडल स्टडीड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए 90% से अधिक सटीकता के साथ बिहार की प्रमुख नदियों के अगले तीन दिनों के जलस्तर का पूर्वानुमान उपलब्ध कराया गया, नवीनतम तकनीकी प्रयोग के रूप में ही कमला, महानंदा आदि नदियों के तटबंधों का ड्रोन से सर्वे भी कराया गया, जिससे वास्तविक स्थिति का आकलन करने में सहायता प्राप्त हुई है. 


नीरज ने बताया कि बाढ़ से सुरक्षा में जन सहभागिता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा है. आम लोग भी हैशटैग # HelloWRD का इस्तेमाल कर बाढ़ से सुरक्षा संबंधी कार्य में पारदर्शिता में सहायक हो रहे हैं. जल संसाधन विभाग ने तय किया है विगत दो वर्ष पहले बड़ी नदियों से ज्यादा छोटी नदियों ने भी तबाही मचाया उसके बाद छोटी नदियों को जोड़ने का राज्य सरकार अपने संसाधन से कार्य योजना बना रही है जिससे बाढ़ प्रबंधन एवं सिचाई क्षमता का विकास होगा. 


उन्होंने बताया कि मुख्युमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावितों के दर्द को बखूबी समझते हैं. यही कारण है कि बिहार में आपदा नीति बनाई गई और नीतीश कुमार का कहना है कि राज्य के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है. वर्ष 1998 में जब बिहार के 28 जिलों में आए बाढ़ से 380 लोग अपनी जान गवा चुके थे उस तत्कालीन मुख्यमंत्री पटना में रैली कर रहे थे. वर्ष 2004 में आई बाढ़ आपदा के दौरान फिर से लालू यादव बाढ़ से प्रभावित लोगों को बाढ़ के पानी में मछली पकड़ने की सलाह दे रहे थे. 


नीतीश कुमार के शासनकाल में बाढ़ जैसी आपदा से निपटने के लिए वर्ष 2020 में बाढ़ प्रभावित परिवारों को GR की राशि सीधे उनके खाता में PEMS के माध्यम से अंतरित किया गया, जिसके अंतर्गत कुल ₹1357.09 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया. बाढ़ प्रभावितों के सहायतार्थ सामुदायिक रसोई के संचालन हेतु ₹61.40 करोड़ रूपये खर्च किये गए, मृतक अनुग्रह अनुदान हेतु ₹5.36 करोड़ रूपये व्यिय हुए. वहीं मृत पशुओं हेतु ₹0.875 करोड़ रूपये तथा जनसंख्या निष्क्रमण हेतु ₹82.29 करोड़ रूपये जिलों को आवंटित की गई. लालूवाद के राजकुमार आपको पता है कि राजद शासनकाल में सामुदायिक रसोई, कृषि इनपुट अनुदान किसे कहते हैं ? बाढ़ से प्रभावित किसानों की पीड़ा को समझते हुए बाढ़ से क्षतिग्रस्त फसलों हेतु कृषि इनपुट अनुदान के अंतर्गत कृषि विभाग को ₹945.92 करोड़ रूपये आवंटित की गई. 


उन्होंने सवाल पूछा कि लालूवाद विचारधारा से कितने कितने बाढ़ से प्रभावित किसानों को लाभ पहुंचाया गया ? जल संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2006 में स्थापित बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायक केंद्र (FMISC) से बाढ़ प्रबंधन में काफी मदद मिल रही है. इसके अंतर्गत बिहार कोसी बेसीन विकास परियोजना और नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट का कार्य प्रगति पर है. 


बिहार कोसी बेसीन विकास परियोजना के अंतर्गत सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के रूप में पटना में गणितीय प्रतिमान केंद्र (एमएमसी) की स्थापना की गई है और सुपौल जिले के वीरपुर में 109.93 करोड़ रुपये की लागत से भौतिक प्रतिमान केंद्र (पीएमसी) की स्थापना का असैनिक कार्य प्रगति पर है. नदियों के जलस्तर और जलश्राव का 72 घंटे पहले ही पता चलने के कारण जिला प्रशासन द्वारा भी केवल क्षेत्र की जनता को अलर्ट किया जाता है, बल्कि बड़ी आबादी को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जाता है. 


मानसून अवधि के लिए 72 घंटे पूर्व बाढ़ चेतावनी निर्गत करने हेतु माडलिंग कार्य के लिए रीजनल नेटवर्क को पूर्णतः विकसित कर लिया गया है. 

अंतर साफ है- 

• बाढ़ प्रबंधन सूचना प्रणाली (फ्लड मैनेजमेंट इनफोरमेसन)

• इमरजेंसी ऑपरेशन सिसटम 

• नेपाल के काठमांडु सहित भारत नेपाल सीमा पर कोसी, गंडक और बागमती नदी के महत्व पूर्ण केन्द्र पर बाढ़ के पूर्वानूमान के लिए नोडल पदाधिकारियों की तैनाती जैसे महत्व पूर्ण प्रशासनिक दायित्व  को माननीय नीतीश कुमार की सरकार पूरा कर रही है. 


जबकि-

• 1998 में जब बिहार के 28 जिलों में बाढ़ आया था तो संवेदनहीनता की पराकाष्ठा  थी, उस समय राजद एकजुटता रैली कर रहा था.

• बाढ़ आपदा के दौरान बाढ़ से प्रभावित लोगों को सहायता नहीं बल्कि मछली पकड़ने की सलाह दे रहे थे.

• वर्ष 2003 CAG रिपोर्ट में यह दर्ज है कि आपदा प्रबंधन के लिए आवंटित बजट का मात्र 20 प्रतिशत ही खर्च हुआ था. 

• वर्ष 2003 में केन्द्र सरकार बाढ़ प्रभावित नदियों को जोड़ने की योजना तत्कालीन सरकार ने विरोध किया था और इसका क्रियान्वयन नहीं होने दिया गया था.

• बाढ़ पीडि़तों को कृषि इनपुट अनुदान सामुदायिक रसोई, मृतक अनुग्रह अनुदान, जनसंख्या निष्क्रमण हेतु  सहायता एवं अन्यक योजनाऍं चलाकर मदद की जा रही है जबकि राजद शासनकाल में आपदा पीड़ितों का मजाक एवं आवंटति राशि घोटाला की भेंट चढ़ता था.