PATNA : बिहार में पराली जलाने के आरोप में कृषि विभाग ने 900 किसानों को ब्लैकलिस्टेड कर दिया है. अब इन किसानों को 3 साल तक कृषि आधारित लाभुक योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं हो सकेगा. यानी कि तीन साल के लिए इन किसानों के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से भुगतान की जाने वाली सरकारी प्रोत्साहन राशि को रोक दिया गया है.
पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कृषि विभाग सख्त हो गया है. बिहार सरकार ने पिछले 3 महीने में 900 किसानों के खिलाफ यह सख्त कार्रवाई की है. बताया जा रहा है कि 11 जिलों के किसानों पर सरकार ने यह एक्शन लिया है. इसको लेकर अधिकारियों द्वारा पदाधिकारियों को लगातार निर्देश दिया जा रहा है. किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है. लेकिन अधिकारियों के आदेश के बावजूद किसान धान कटने के बाद खेतों में पराली जला रहे हैं, जिससे मिट्टी को नुकसान के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषित प्रदूषित हो रहा है. जिसे देखते हुए कृषि विभाग पराली जलाने वाले किसानों को चिह्नित कर उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली योजनाओं से वंचित कर रहा है.
आपको बता दें कि पूरे भारत में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पिछले साल से इस तरह की व्यवस्था लागू की गई है, जो वायु प्रदूषण के लिए एक प्रमुख कारक है. डीबीटी स्थानान्तरण के लिए राज्य कृषि विभाग के साथ कुल 1.64 करोड़ किसान पंजीकृत हैं. बिहार में जिन 900 किसानों के ऊपर कार्रवाई की गई है, उसमें से सबसे ज्यादा किसान 462 किसान रोहतास जिले के हैं. इसके अलावा कैमूर के 133 और नालंदा के 100 किसान शामिल हैं. आपको बताए दें कि रोहतास और कैमूर जिला शाहाबाद क्षेत्र के प्रमुख धान उगाने वाले जिले हैं.
इन जिलों के आलावा बक्सर के 93, भोजपुर के 21, पटना के 33, गया के 40, सीवान के 13 और जमुई के 7 किसान शामिल हैं. बिहार सरकार द्वारा सब्सिडी हस्तांतरण पर रोक लगाने का मतलब है कि किसानों को कृषि उपकरण, इनपुट सब्सिडी आदि की खरीद के लिए सहायता नहीं मिलेगी, जो सीधे राज्य कृषि विभाग के साथ पंजीकृत किसानों के खातों में स्थानांतरित की जाती हैं.
भोजपुर जिला के खेतों में फसलों का अवशेष जलाने के मामले में एडौरा पंचायत के पूर्व मुखिया सह वर्तमान मुखिया पति समेत आठ किसानों का तीन साल के लिए निबंधन रद्द किया गया है. यह मामला उदवंतनगर प्रखंड क्षेत्र के एडौरा और कसाप पंचायत से जुड़ा है. एडौरा पंचायत की मुखिया कलावती देवी के पति सह श्रीरामपुर निवासी पूर्व मुखिया राम सुभोग सिंह के खेतोंं में पराली जलाया गया था. भोजपुर जिले में इस कार्रवाई के पहले भी 10 किसानों पर पराली जलाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. वहीं जगदीशपुर में 10, बिहिया में दो और पीरो में एक किसान का निबंधन रद्द किया जा चुका है. इस तरह पहले के 13 और वर्तमान में आठ किसानों समेत कुल 21 किसानों का निबंधन अब तक रद्द किया गया है.
सीवान में पराली जलाने के आरोप में कृषि विभाग ने 13 किसानों को ब्लैकलिस्टेड कर दिया है. अब इन किसानों को तीन वर्षों तक कृषि आधारित लाभुक योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं हो सकेगा. साथ ही इनमें से एक पंजीकृत किसान को ब्लॉक भी कर दिया गया है. उसमें जीरादेई प्रखंड के ३, रघुनाथपुर प्रखंड के 4, आंदर प्रखंड के 2, दरौली प्रखंड के 2 और सीवान प्रखंड के एक किसान शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कृषि विभाग के सचिव एन सरवाना कुमार ने बताया कि "किसानों को डीबीटी को अवरुद्ध करने का उद्देश्य पराली जलाने की प्रथा को रोकना है. हमारे कृषि समन्वयक और किसान मित्र द्वारा खेत की भूमि की सख्त निगरानी के माध्यम से अभ्यास किया गया है, जो दूरदराज के क्षेत्रों के किसानों के बारे में रिपोर्ट करते हैं"
एन सरवाना कुमार कुमार ने कहा कि "सरकार किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के पक्ष में नहीं है लेकिन डीबीटी को रोकना एक प्रभावी तरीका हो सकता है. हम जिलों में किसानों को यह बताने के लिए जागरूकता कार्यक्रम कर रहे हैं कि कैसे फसल-अवशेषों को जलाने से न केवल वायु प्रदूषण होता है, बल्कि यह मिट्टी के लिए भी बुरा है. क्योंकि यह मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों को नुकसान पहुंचाता है."
नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विज्ञान विभाग के कोऑर्डिनेटर डॉ बिहारी सिंह ने बताया कि "बिहार और अन्य राज्यों में, खेती के बढ़ते मशीनीकरण ने पिछले कुछ वर्षों में भारी तबाही मचाई है, क्योंकि कचरे का उत्पादन उपकरणों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसके अलावा, किसान बिक्री के लिए भूसी रखने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखते हैं क्योंकि वहाँ कम हैं. पशु पालन पर कम ध्यान देने के कारण इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी मांग है. फसल के अवशेषों से धुआं भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, निलंबित कण पदार्थ और अन्य हानिकारक कणों का उत्सर्जन करता है, जो वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को प्रभावित करते हैं."