PATNA: मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पटना में शराबबंदी को लेकर मैराथन बैठक हुई। सात घंटे से चली बैठक में सूबे में शराबबंदी की कमजोर कड़ियों पर विशेष चर्चा करने का दावा किया गया। मीटिंग के बाद मीडिया से रू-ब-रू होते हुए गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और डीजीपी एसके सिंघल ने बैठक में किये गए चर्चाओं की मुख्य बिंदूओं को मीडिया के सामने रखा।
मीडिया की ओर से शराबबंदी को लेकर पूछे जाने वाले सवालों पर डीजीपी ने शराबबंदी को सख्ती से लागू करने में आ रही दिक्कतों को बताया। डीजीपी यहां तक कह गए कि ये नहीं कहा जा सकता कि शराब के धंधे में लगा हुआ व्यक्ति जब जमानत पर छूट कर आयेगा तो फिर वो दुबारा इस धंधे को शुरू नहीं करेगा।
गोपालगंज में हुए जहरीली शराबकांड का उदाहरण देते हुए डीजीपी एसके सिंघल ने कहा कि वहां जो शराबकांड हुआ उसमें तीन लोग ऐसे थे जो कुछ दिन पहले ही शराब मामले में गिरफ्तार होने के बाद जेल से छूटकर आये थे। इनमें से एक की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। बिहार में सख्ती से शराबबंदी लागू नहीं होने में ये एक बड़ी समस्या सामने आ रही है।
पटना समेत पूरे बिहार में शराब की हो रही होम डिलीवरी पर सारी जिम्मेदारी नीचे के अधिकारियों पर डाल दी गई है। डीजीपी ने कहा कि जब गांव में शराब सप्लाई होती है तो उसकी जानकारी चौकीदार और जमादार ही दे सकते है। मतलब साफ है शराबबंदी लागू करने की सारी जवाबदेही जमादार-चौकीदार से लेकर थानेदार तक की ही होगी। थानेदार तब नपेंगे जब केंद्रीय टीम उनके थानाक्षेत्र में जाकर छापेमारी करेगी। यानि जब थानेदार शराब की सप्लाई रोकने में नाकामयाब होंगे तब नपेंगे।
शराबबंदी को लेकर हुई बैठक का निष्कर्ष क्या निकला वो डीजीपी ने ही बता दिया। उन्होने कहा कि इस बैठक में कुछ भी नया नहीं जोड़ा गया है। सिर्फ कानून के प्रावधानों को सही तरीके से लागू करने और समय-समय पर उसकी समीक्षा करने पर जोड़ दिया गया है। बात साफ है कि शराबबंदी को लेकर 2016 से जो कानून चल रहा है वही अब भी लागू रहेगा। बस उसकी समय-समय पर समीक्षा की जाएगी। वही एक बार फिर से 26 नवंबर को शराब नहीं पीने की शपथ सबको दिलाई जाएगी।