RANCHI: हेंमत सोरेन सरकार गिराने की साजिश के आरोपों की जांच कर रही ईडी को अबतक ही पूछताछ और जांच के आधार पर ये लग रहा है कि ये पूरा मामला सुनियोजित तरीके से किया गया। पूरे घटनाक्रम को ईडी संदेह के घेरे से देख रही है।
विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी को जिस तरीके से बंगाल में 49 लाख रूपये कैश के साथ बंगाल पुलिस ने पकड़ा और उसके अगले ही दिन बेरमो से कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने रांची के अरगोड़ा थाने में जीरो एफआईआर कराई उस पूरे घटनाक्रम को ईडी संदेह के घेरे से देख रही है। उसे इस पूरे मामले में जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह की भूमिका के साथ साथ रांची और बंगाल पुलिस की जांच भी संदिग्ध नजर आ रही है।
ईडी सूत्रों से जो पता चला है उसमें ये जानकारी मिली है कि जिस तरीके से इन तीनों विधायकों की बंगाल में गिरफ्तारी हुई और उसके अगले दिन अनूप सिंह ने रांची में जीरो एफआईआर कराया उसकी टाईमिंग संदेह के घेरे में है। और इस पूरे मामले में जिस तरीके से अनूप सिंह के बयान के आधार पर ही बंगाल और रांची पुलिस ने जांच की वो भी संदेह पैदा कर रहा है।
ईडी का मानना है कि अगर अनूप सिंह ने जैसा एफआईआर में बताया कि उन्हे जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने 10 करोड़ रूपये और मंत्री पद की पेशकश की थी राज्य में चल रही हेमंत सोरेन की सरकार गिराने के लिए तो उन्होने इस पूरे मामले को सामने लाने में इन तीनों विधायकों की गिरफ्तारी का इंतजार क्यों किया। अगर उन्हे जानकारी थी तो उन्होने इसे पहले ही क्यों नहीं उजागर किया , इन तीनों विधायकों के गिरफ्तारी का इंतजार करना कही न कही इसे सुनियोजित होने का ही प्रमाण बताता है।
अनूप सिंह ने इरफान अंसारी पर हेमंत सरकार गिराने के लिए पैसे और मंत्री पद का ऑफर देने का आरोप लगाया था साथ ही असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्म सरमा से भी मुलाकात करने की भी बात इन्हे बताई थी। अनूप सिंह के अनुसार असम के मुख्यमंत्री को झारखंड में कांग्रेस को तोड़कर वर्तमान सरकार गिराने का टास्क दिया गया था। इस मामले में ईडी ने अबतक इन तीनों विधायकों से अलग अलग तारीख को पूछताछ की है और उनसे आय के स्त्रोत के बारे में जानकारी ली है। तीनों विधायकों ने आय के अलग अलग स्त्रोत ईडी को बताया है।