DELHI: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भारी मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं। चारा घोटाले के दो मामलों में झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी, वह रद्द हो सकती है. सीबीआई ने लालू की जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई शुरू करने का फैसला लिया है. वैसे लालू प्रसाद यादव डेढ़ महीने पहले चारा घोटाले के एक और मामले में सजायाफ्ता होकर फिलहाल दिल्ली के एम्स में अपना इलाज करवा रहे हैं।
लालू की जमानत रद्द करने की याचिका
दरअसल झारखंड हाईकोर्ट ने 9 अक्टूबर 2020 को लालू प्रसाद यादव को चाइबासा कोषागार मामले में जमानत दे दिया था. उसके बाद 17 अप्रैल 2021 को लालू को दुमका कोषागार से चारा घोटाले मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी थी. इन दोनों केस में लालू यादव को सजा सुनायी जा चुकी थी. लेकिन हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद वे बाहर आ गये थे।
सीबीआई ने इन दोनों मामलों में लालू की जमानत मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में बेल रद्द करने की याचिका लगायी थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल. नागेश्वर राव और बी.आर. गवई की खंडपीठ ने सीबीआई की याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट में लालू की जमानत रद्द करने की याचिका पर सीबीआई की ओऱ से बहस करने के लिए एडिशनल सोलिसिटर जेनरल(ASG) एस.वी. राजू पेश हुए. देखिये कोर्ट में कैसे हुई सुनवाई
ASG एस.वी. राजू- हाईकोर्ट ने लालू यादव को जमानत देते समय दो धाराओं पर विचार नहीं किया. जस्टिस राव-झारखंड हाईकोर्ट ने पाया था कि लालू यादव ने अपनी सजा का आधा समय जेल में काट लिया था. इसलिए जमानत की याचिका स्वीकार की गयी थी. हाईकोर्ट ने कहा है कि वह 50 प्रतिशत सजा भुगतने के नियम का पालन किया है.
ASG एस.वी. राजू-लालू को जमानत के मामले में 50 फीसदी सजा भुगतने का नियम नहीं लागू हो सकता. क्योंकि जिन मामलों में उन्हें सजा मिली है वह एक साथ नहीं चलेगी बल्कि एक के बाद एक होगी. यानि एक केस में सजा भुगतने के बाद दूसरे केस की सजा शुरू होगी. जस्टिस राव-तो फिर लालू यादव को कुल कितने सालों की सजा सुनायी जा चुकी है. ASG एस.वी. राजू-लालू यादव को अलग-अलग मामलों में कुल 14 साल की सजा मिल चुकी है. जस्टिव राव-लालू यादव ने कितना समय जेल में बिताया है.
ASG एस.वी. राजू- जब उन्हें बेल दिया गया तो लालू ने सिर्फ एक साल ही जेल में बिताया था. सुप्रीम कोर्ट CrPC की धारा 427 को देखे. ये धारा कहती है कि अगर किसी व्यक्ति को कई मामलों में सजा सुनायी गयी है और सारे मामलों में अलग अलग सजा चलनी है तो इसका स्पष्ट प्रावधान है. दोषी व्यक्ति जब पहली सजा काट लेगा तो दूसरी सजा शुरू होगी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.आर. शाह की बेंच ने भी हाल में ही इस मसले पर विस्तार से आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट-नोटिस जारी किया जाये. दोनों केस में नोटिस जारी किया जाये. मामले पर सुनवाई की जायेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वह जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करेगी. सुनवाई के लिए सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दे दिया गया है. जाहिर है लालू मुसीबत में फंस गये हैं. सभी पक्षों से जवाब आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होगी.
गौरतलब है कि पिछले साल 17 अप्रैल को झारखंड हाईकोर्ट ने दुमका कोषागार से 3 करोड 13 रूपये की अवैध निकासी के मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को इस आधार पर जमानत दिया था कि वह अपनी सजा का आधा हिस्सा जेल में बिता चुके हैं. तब तक लालू यादव को चारा घोटाले के चार मामलों में सजा सुनायी जा चुकी थी.
उन्हें देवघर, दुमका और चाइबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सजा सुनायी जा चुकी है. 2019 में उन्हें देवघर ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में सजा मिली थी. लालू पर चाइबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी का दो मामला था, उन दोनों में उन्हें सजा सुनायी जा चुकी है. चाइबासा ट्रेजरी से निकासी के मामले में उन्हें हाईकोर्ट ने 2020 के 9 अक्टूबर को ही बेल दे दिया था. पिछले साल अप्रैल में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद लालू जेल से बाहर आ गये थे. उसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत रद्द करने की याचिका लगायी थी, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करना शुरू कर दिया है.
हालांकि लालू यादव को अब चारा घोटाले के पांचवे मामले में भी सजा सुनायी जा चुकी है. लगभग डेढ महीने पहले 21 फरवरी को लालू यादव को डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में 5 साल की सजा सुनायी गयी है. इसके बाद लालू न्यायिक हिरासत में ही हैं. तबीयत खराब होने के कारण उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया है.