PATNA : कहा तो केन्द्र से लेकर बिहार सरकार तक दावा कर रही थी कि अपने-अपने राज्यों के बाहर फंसे मजदूरों को घर वापस लाने के लिए एक भी पैसे नहीं वसूल रही। केन्द्र सरकार का दावा था कि वे महज 15 फीसदी किराया राज्य सरकारों से वसूल रहे हैं यात्रियों से कोई किराया नहीं लिया जा रहा है। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी खुद वीडियो जारी कर साफ कर दिया था कि वे बिहारी मजदूरों से एक रुपया भी भाड़ा नहीं वसूल रहे हैं बल्कि बाहर से आने वाले मजदूरों को क्वारेंटाइन कराने के बाद पैसे भी दिए जाएंगे। लेकिन केन्द्र से लेकर राज्य तक तमाम सरकारों के दावे राजधानी पटना में ही धराशायी होते नजर आयी जब बेंगलुरु से आए मजदूरों ने अपने पास मौजूद ट्रेन का टिकट दिखाया।
बेंगलुरु से पटना पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन से उतरे मजदूरों ने बताया कि हमनें ट्रेन का भाड़ा दिया है। पटना पहुंचे मजदूरों ने ट्रेन का टिकट दिखाया और बताया कि उनसे ट्रेन का भाड़ा लिया गया है। इतना ही नहीं मजदूरों ने जो कुछ बताया वो सरकार के होश उड़ा देने वाले हैं। मजदूरों ने टिकट दिखाते हुए बताया कि उनसे 1050 रुपये वसूले गये हैं जबकि टिकट पर 910 रुपया अंकित था। यानि मजदूरों से टिकट तो कटवाया ही गया साथ ही साथ भोले-भाले मजदूरों से अवैध वसूली भी की गयी। 910 रुपये की टिकट पर 1050 रुपये तक वसूले गये।
मजदूरों की ये मजबूरी यहीं नहीं खत्म हुई स्पेशल ट्रेन में जहां दावे किए जा रहे थे कि रास्ते में मजदूरों को खाने पीने की कोई कमी नहीं होगी उसके उलट बिहार पहुंचे मजदूरों को अपना पेट दबा कर आना पड़ा । पटना पहुंचे मजदूरों ने बताया कि समय पर खाना भी नहीं मिला वो भी जितनी बार मिलना चाहिए था वो भी नहीं मिला। ज्यादातर मजदूर भूखे-प्यासे रहकर ही अपने घर पहुंचे।
अब मजदूरों की शिकायत पर सरकार कितना संज्ञान लेती है ये तो वे ही जानें। लेकिन सार्वजनिक तौर पर भाड़ा न लेने का एलान कर भाड़े के साथ नाजायज राशि वसूले जाने का मामला सरकार के दावों की पोल खोलता दिख रहा है। घर पहुंचने की ललक में मजदूरों ने अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा तो खर्च कर दिया अब घर पहुंच कर वे कैसे अपने खाने-पीने का प्रबंध कर सकेंगे। भगवान ही मालिक है, सरकार तो खम ठोक कर मदद का दावा कर ही रही है।