RANCHI: बाल विवाह जैसी कुरीति की रोकथाम के लिए झारखंड सरकार ने अहम कदम उठाया है. सरकार ने महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, महिला पर्यवेक्षिका, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, CO, बाल विकास परियोजना अधइकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, उपायुक्त, प्रमंडलीय आयुक्त और प्रखंड विकास पदाधिकारी को बाल विवाह निषेध पदाधिकारी के रूप में नामित किया है. बता दें पहले सिर्फ बाल विकास पदाधिकारी ही इस कार्य के लिए थे.
इस फैसले के बाद अब पूरे राज्य में बाल विवाह निषेध पदाधिकारी के रूप में समाज कल्याण विभाग के निदेशक बाल विवाह के खिलाफ कार्य करेंगे. प्रमंडलीय आयुक्त का कार्यक्षेत्र प्रमंडल, उपायुक्त का जिलों, जिला कल्याण पदाधिकारी का जिलों में, अनुमंडल पदाधिकारी का अनुमंडल में वहीं प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी का कार्यक्षेत्र प्रखंडों में होगा. पंचायत सचिव अपने पंचायतों में बाल विवाह निषेध पदाधिकारी के रूप में काम करेंगे. इनका दायरा पंचायतों तक होगा.
मालूम हो कि बाल विवाह के मामले में झारखंड की गिनती देश के सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में से एक है. 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड में पिछले कुछ सालों में 3,38,064 बाल विवाह हुए हैं. जो पूरे देश में बाल विवाह का 3 फीसदी है. बाल विवाह के मामले में राज्य का स्थान 11वां है.