DESK: आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानि AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार की सियासत को लेकर बड़ा खुलासा किया है। ओवैसी ने कहा है कि अगर लालू परिवार ने उनकी बात मान ली होती तो बिहार में नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री नहीं बनते। बल्कि सीएम की कुर्सी पर तेजस्वी यादव बैठे होते। ओवैसी ने दावा किया है कि उनकी बात नहीं मान कर लालू यादव और उनके परिवार ने सबसे बड़ी भूल की है।
बात करने को नहीं तैयार हुए थे लालू-तेजस्वी
AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आज एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में ये राज खोला। उन्होंने कहा कि 2020 के बिहार चुनाव के दौरान लालू प्रसाद यादव औऱ राजद ने उनकी बात नहीं सुनी। ओवैसी बोले-2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मैंने कई दफे लालू यादव या तेजस्वी यादव से बात करने की कोशिश की। लेकिन दोनों बात करने को तैयार नहीं हुए. अपनी उसी गलती के कारण तेजस्वी विपक्ष में बैठे हैं।
AIMIM से बीजेपी को फायदा नहीं
दरअसल ओवैसी से सवाल किया गया था कि उनके कारण बीजेपी को फायदा होता है। ओवैसी ने कहा कि उनसे बीजेपी को फायदा नहीं बल्कि नुकसान होता है। बिहार में अगर एनडीए सत्ता में आ गयी तो इसके लिए राजद जिम्मेवार है AIMIM नहीं। हम तो चाह रहे थे कि राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़े। इससे बीजेपी विरोधी वोट में कोई बिखराव नहीं होता लेकिन लालू औऱ तेजस्वी ने कोई बात ही नहीं सुनी।
हम आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते बनते रह गये थे. इसके लिए ओवैसी को भी जिम्मेवार माना जाता है. ओवैसी की पार्टी ने बिहार की पांच मुस्लिम बहुल सीटों को जीत लिया था. वहीं कई सीटों पर अच्छे खासे वोट काट लिये थे. बिहार के सीमांचल में ओवैसी की पार्टी ने अमौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज विधानसभा पर कब्जा जमा लिया है.
औवैसी से ये सवाल उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर पूछा गया था. ओवैसी उत्तर प्रदेश चुनाव में भी ताल ठोंक रहे हैं. उन्होंने मुस्लिम बहुल इलाकों में अपना उम्मीदवार उतारने का एलान कर दिया है. इससे चर्चा ये होती रही है कि ओवैसी अपने उम्मीदवार उतार कर भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने टीवी चैनल के प्रोग्राम में इस धारणा को गलत बताया.