RANCHI: राजधानी रांची के बरियातू में सेना की जमीन के हुए घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी को अहम जानकारी हाथ लगी है। जमीन हड़पने के लिए बनाए गए जाली दस्तावेजों में बड़े घालमेल का पता चला है। ईडी की गिरफ्त में आए प्रदीप बागची ने दावा किया है कि वह 4.55 एकड़ जमीन का असली मालिक है। इसे साबित करने के लिए बागची ने जमीन के दस्तावेज ईडी के समक्ष पेश किए हैं।
प्रदीप बागची की तरफ से पेश किए गए दस्तावेजों के अनुसार, उसके पिता ने साल 1932 में उक्त जमीन को रैयतों से खरीदा था जिसकी रजिस्ट्री कोलकाता में हुई थी। दस्तावेजों में राज्य का नाम पश्चिम बंगाल बताया गया है जबकि 1932 में सिर्फ बंगाल राज्य हुआ करता था। इसके साथ ही दस्तावेजों में खरीदार और बेचने वाले के साथ साथ गवाहों के पते में पिन कोड का जिक्र किया गया है, जबकि पिन कोड 1972 से देश में लागू किया गया था। वहीं जमीन की बिक्री में गवाह बने एक शख्स का जिला भोजपुर बताया गया है जबकि बिहार का भोजपुर जिला 1972 में अस्तित्व में आया था।
कागजातों में दर्ज जानकारियों को देख ईडी का शक गहरा होता जा रहा है। अब ईडी ऐसे सभी दस्तावेजों के साथ-साथ कोलकाता रजिस्ट्रार कार्यालय के भूमि रजिस्टरों की फॉरेंसिक जांच करा सकती है। बता दें कि इसी मामले में ईडी ने रांची के तत्कालीन डीसी और IAS छवि रंजन, भूमि दलालों और कई राजस्व अधिकारियों के खिलाफ देशव्यापी छापेमारी की है। दक्षिण छोटानागपुर के संभागीय आयुक्त के जांच के आदेश में कहा गया है कि रांची में 4.55 एकड़ भूमि वर्तमान में भारतीय सेना के कब्जे में है लेकिन जयंत कर्नाड के स्वामित्व में, प्रदीप बागची ने धोखे से दिलीप घोष नाम के व्यक्ति को बेच दी।