अपने पुराने दोस्त की बात सुन लीजिए नीतीश जी.. जो इंजीनियरिंग कॉलेज में साथ थे आज स्वास्थ्य केंद्र मांग रहे

अपने पुराने दोस्त की बात सुन लीजिए नीतीश जी.. जो इंजीनियरिंग कॉलेज में साथ थे आज स्वास्थ्य केंद्र मांग रहे

PATNA : महामारी के इस दौर में बिहार के अलग-अलग इलाकों से लगातार बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीरें सामने आ रही है. सरकार के सभी दावे जमीन पर औंधे मुंह गिरते नजर आ रहे हैं. लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुराने साथी और कभी इंजीनियरिंग कॉलेज में उनके साथ पढ़ाई करने वाले इंजीनियर नरेंद्र कुमार सिंह ने अपने दोस्त से गुहार लगाई है.


पटना एनआईटी में नीतीश कुमार के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके नरेंद्र कुमार सिंह सहरसा के महिषी प्रखंड के रहने वाले हैं. उनका गांव आज भी स्वास्थ्य सेवाओं से दूर है. नरेंद्र कुमार सिंह के मीणा गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़ा है और खंडहर में बदल चुका है. डॉक्टर और नर्स की बात तो दूर इलाज के नाम पर यहां कोई सुविधा नहीं है. ऐसे में महामारी के बीच नरेंद्र कुमार सिंह ने अपने पुराने साथी नीतीश कुमार को दोस्ती की याद दिलाते हुए कहा है कि कम से कम इस मामले में हस्तक्षेप कर स्वास्थ्य उपकेंद्र तो चालू करवा दें.


आपको याद दिला दें कि नरेंद्र कुमार सिंह जो नीतीश कुमार के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं, उन्हें सरकार ने बिहार में सवर्ण आयोग का सदस्य बनाया था. नीतीश कुमार जब मुख्यमंत्री बने तो उन्हें अपने पुराने साथी की याद आई और सवर्ण आयोग में उन्हें जगह भी दी. अपने साथी के मुख्यमंत्री बनने के बावजूद नरेंद्र कुमार सिंह कभी राजनीति में नहीं आए और ना ही उन्होंने कभी राजनीति को लेकर दिलचस्पी दिखाई. सवर्ण आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद नरेंद्र कुमार सिंह अपने गांव चले गए लेकिन अब महामारी के इस दौर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उन्होंने अपने पुराने साथी को याद किया है.


एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में नरेंद्र कुमार सिंह ने कहा है कि गांव का स्वास्थ्य केंद्र बंद होने के कारण डॉक्टर और नर्स यहां नहीं आते. उन्होंने नीतीश कुमार से मांग की है कि संक्रमण की तीसरी लहराने के पहले कम से कम इसे ठीक करा दिया जाए. उन्होंने कहा है कि गांव में अगर दस्त ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटर की व्यवस्था हो जाती है तो उनके दोस्ती की लाज बच जाएगी. पिछले 5 सालों से उनका गांव स्वास्थ्य सेवाओं से कटा हुआ है. उन्हें अब भी अपने दोस्त से उम्मीद है कि उनके गांव में स्वास्थ्य सेवा जरूर बहाल हो जाएगी.