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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 10 Jul 2025 03:22:18 PM IST
28 जुलाई को अगली सुनवाई - फ़ोटो GOOGLE
DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चुनाव से पहले कराये जा रहे वोटर पुनरीक्षण पर तत्काल रोक लगाने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में आज दिन भर की बहस चली. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वह चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक संस्था के काम पर रोक नहीं लगा सकता है. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि वह वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज को शामिल करने पर विचार करे.
सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद आदेश सुनाते हुए कोर्ट ने कहा - कोर्ट ने कहा है-“हमारा मानना है कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के लिए आधार कार्ड, चुनाव आयोग द्वारा जारी वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों पर भी विचार करेगा. चुनाव आयोग के वकील की आपत्ति के बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया- हम आपसे(चुनाव आयोग से) यह नहीं कह रहे हैं कि आप आधार आदि को अवश्य मानें. हमने सिर्फ यह नोट किया है कि आपने पहले ही कहा है कि आपकी दस्तावेजों की सूची अंतिम (exhaustive) नहीं है. यदि आपके पास आधार जैसे दस्तावेज को खारिज करने का कोई ठोस कारण है, तो आप उसे खारिज करें.. लेकिन उसका कारण स्पष्ट रूप से बताएं.
वोटर पुनरीक्षण पर रोक नहीं
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा- याचिकाकर्ता इस चरण में किसी अंतरिम स्थगन (interim stay) की मांग नहीं कर रहे हैं, क्योंकि किसी भी स्थिति में ड्राफ्ट मतदाता सूची का प्रकाशन 1 अगस्त 2025 को ही होना है. उससे पहले हम इस मामले की सुनवाई 28 जुलाई 2025 को ही करेंगे. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई से पहले चुनाव आयोग द्वारा काउंटर एफिडेविट (हलफनामा) एक सप्ताह के भीतर दायर किया जाएगा और अगर कोई प्रत्युत्तर (rejoinder) दायर किया जाना है, तो वह 28 जुलाई 2025 से पहले किया जाएगा.
बता दें कि बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के खिलाफ आरजेड सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल, शरद पवार के राकांपा गुट से सुप्रिया सुले, भाकपा से डी राजा, समाजवादी पार्टी से हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उबाठा) से अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा से सरफराज अहमद और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सभी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है.
चुनाव आयोग ने कहा-कुछ भी गलत नहीं किया
सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया. बेंच ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण करने में कुछ भी गलत नहीं है. 2003 में भी ऐसा किया गया था, लेकिन मसला यह है कि इसे पहले क्यों नहीं किया गया। चुनाव से ठीक पहले यह प्रक्रिया क्यों की जा रही है. इस पर चुनाव आयोग के वकील ने जवाब दिया कि इसमें कुछ गलत नहीं है और समय-समय पर संशोधन होता है. उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ मतदाता सूची में नामों को शामिल करने या हटाने के लिए उनका पुनरीक्षण जरूरी होता है.
चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट से पूछा कि अगर चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची में संशोधन का अधिकार नहीं है तो फिर यह कौन करेगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सवाल ही नहीं है कि ऐसा क्यों हो रहा है। बात सिर्फ इतनी है कि इसे पहले क्यों नहीं किया गया। बेंच ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण की कवायद महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो लोकतंत्र की जड़ से जुड़ा है, यह मतदान के अधिकार से संबंधित है। इलेक्शन कमीशन के वकील ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत भारत में मतदाता बनने के लिए नागरिकता की जांच जरूरी है.
कोर्ट ने तीन मुद्दों पर मांगा जवाब
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से तीन मुद्दों पर जवाब मांगा- क्या उसके पास मतदाता सूची में संशोधन करने, अपनायी गयी प्रक्रिया और कब यह पुनरीक्षण किया जा सकता है, उसका अधिकार है? इसके अलावा टाइमिंग का सवाल भी बेंच ने उठाया. अदालत ने कहा कि यदि आपको बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के अंतर्गत नागरिकता की जांच करनी है, तो आपको पहले ही कदम उठाना चाहिए था, अब थोड़ी देर हो चुकी है. इसका जवाब देते हुए चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत भारत में मतदाता बनने के लिए नागरिकता की जांच जरूरी है.
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की अदालत ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में नागरिकता के मुद्दे को क्यों उठाया जा रहा है. यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है. कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण में दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड पर विचार न करने को लेकर निर्वाचन आयोग से सवाल किया.
आधार कार्ड और वोटर आईडी क्यों नहीं मान्य?
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि वोटर पुनरीक्षण के दायरे में लगभग 7.9 करोड़ नागरिक आएंगे और चुनाव आयोग इस पुनरीक्षण में मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड पर भी विचार नहीं कर रहा है. इसी बात को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है.