राजद नेता रामबाबू सिंह का बड़हरा में जनसंपर्क अभियान, माई-बहिन योजना को घर-घर पहुँचाने का आह्वान बेतिया में दहेज के लिए विवाहिता की गला दबाकर हत्या, ससुरालवालों पर हत्या का आरोप PURNEA: स्वाभिमान सभा में बोलीं नूतन गुप्ता, नीतीश-मोदी की जोड़ी ने बदली बिहार की तस्वीर जहानाबाद में शुरू हुआ 'माई-बहिन मान योजना' का प्रचार, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी Bihar Crime News: आर्म्स स्मगलर निकला बिहार का यह JDU नेता, हथियार तस्करी के बड़े गिरोह का है सरगना Bihar Crime News: आर्म्स स्मगलर निकला बिहार का यह JDU नेता, हथियार तस्करी के बड़े गिरोह का है सरगना Bihar Politics: CAG की रिपोर्ट पर बिहार में सियासी घमासान, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव को लपेटा Bihar Politics: CAG की रिपोर्ट पर बिहार में सियासी घमासान, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव को लपेटा बिहार में शराबबंदी के बीच 994 लीटर विदेशी शराब बरामद, ट्रक के तहखाने से मिली 115 पेटी, दो तस्कर गिरफ्तार Jharkhand News: कमोड में फन फैलाए बैठा था जहरीला कोबरा, दरवाजा खोलते ही मच गई चीख-पुकार
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 04 Apr 2025 09:35:30 AM IST
माधोपट्टी गांव - फ़ोटो Google
UPSC: माधोपट्टी को ‘आईएएस-आईपीएस गांव’ कहते हैं, और यह नाम कोई अतिशयोक्ति नहीं है। देशभर में अपनी अनूठी पहचान रखने वाला यह छोटा सा गाँव शिक्षा और प्रशासनिक सफलता का ऐसा केंद्र बन चुका है, जो युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
छोटा गांव, बड़ी उपलब्धियाँ
जौनपुर जिला मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर दूर बसा माधोपट्टी गांव देखने में आम लगता है। यहाँ सिर्फ 75 परिवार रहते हैं, लेकिन इन घरों से निकले 40 से ज्यादा लोग IAS, IPS और PCS अधिकारी बन चुके हैं। यह आँकड़ा इतना चौंकाने वाला है कि इसे देश की ‘अफसरों की फैक्ट्री’ कहा जाने लगा। यहाँ की मिट्टी में कुछ खास बात है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी प्रतिभाएँ उगा रही है।
एक परिवार, पाँच अफसर
माधोपट्टी की सबसे बड़ी खासियत है यहाँ की परंपरा। यहाँ कई परिवारों में अफसर बनने का सिलसिला पीढ़ियों से चल रहा है। एक ही परिवार से पाँच लोग IAS और IPS बन चुके हैं। 1952 में डॉ. इंदुप्रकाश सिंह ने इसकी शुरुआत की, जो IFS बनकर फ्रांस जैसे देशों में भारत के राजदूत रहे। इसके बाद उनके चार भाइयों.. विनय कुमार सिंह, छत्रपाल सिंह, अजय सिंह और शशिकांत सिंह ने भी IAS की परीक्षा पास की। विनय बिहार के मुख्य सचिव बने, तो छत्रपाल तमिलनाडु के शीर्ष पद पर पहुँचे। यह परंपरा आगे बढ़ी, जब 2002 में शशिकांत के बेटे यशस्वी ने 31वीं रैंक के साथ IAS बनकर परिवार का नाम रोशन किया। यह सिर्फ एक परिवार की कहानी है, और ऐसे कई परिवार यहाँ हैं।
सिविल सर्विस ही नहीं, हर क्षेत्र में कमाल
माधोपट्टी की प्रतिभा सिर्फ सिविल सर्विस तक सीमित नहीं है। यहाँ के युवाओं ने सेना, विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी छाप छोड़ी है। कुछ लोग ISRO में वैज्ञानिक हैं, तो कुछ विश्व बैंक और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में बड़े पदों पर काम कर रहे हैं। यहाँ की बहुएँ भी पीछे नहीं हैं, कई ने PCS और अन्य प्रशासनिक परीक्षाओं में टॉप किया है। यह गांव साबित करता है कि प्रतिभा लिंग या क्षेत्र की मोहताज नहीं होती।
माधोपट्टी की सफलता का राज है यहाँ का शिक्षा के प्रति प्यार। यहाँ हर घर में किताबों की खुशबू और पढ़ाई का शोर सुनाई देता है। माता-पिता बच्चों को छोटी उम्र से ही बड़े सपने देखने की प्रेरणा देते हैं। खास बात यह है कि यहाँ कोई बड़ा कोचिंग सेंटर नहीं है। यहाँ के युवा अपनी मेहनत और लगन से UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास करते हैं।
माधोपट्टी उन लाखों युवाओं के लिए मिसाल है, जो सिविल सर्विस में जाना चाहते हैं। यहाँ की कहानी बताती है कि सफलता के लिए बड़े शहरों या मोटी फीस वाली कोचिंग की जरूरत नहीं। अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो और मेहनत सच्ची, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 16 मई 2024 को जौनपुर की एक सभा में इस गांव का जिक्र किया था। उन्होंने कहा, “आपके पास तो अफसरों की फैक्ट्री है।” यह बात यहाँ के लोगों के लिए गर्व की बात बन गई।