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Supreme Court on Bihar SIR: ‘मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख वोटर्स की लिस्ट कारण के साथ सार्वजनिक करें’ SIR पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

Supreme Court on Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख नामों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि हर नाम के आगे हटाने का कारण बताया जाए और सूची जिला, प्रखंड, पंचायत स्तर पर सार्वजनिक की जाए।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Thu, 14 Aug 2025 04:14:45 PM IST

Supreme Court on Bihar SIR

प्रतिकात्मक - फ़ोटो google

Supreme Court on Bihar SIR: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह बिहार के ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख वोटर्स की लिस्ट को कारण के साथ सार्वजनिक करें। 


दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग को सख्त निर्देश दिए हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नामों की पूरी सूची मंगलवार तक जिला स्तर पर सार्वजनिक की जाए, और प्रत्येक नाम के आगे विलोपन का कारण भी स्पष्ट रूप से लिखा जाए।


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि यह सूची प्रखंड और पंचायत स्तर के सरकारी कार्यालयों में भी चस्पा की जाए। साथ ही अखबार और टीवी चैनलों के माध्यम से जनता को इसकी जानकारी दी जाए। कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मतदाता अपना वोटर आईडी नंबर डालकर ऑनलाइन अपना नाम सूची में खोज सकें।


बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 1 सितंबर को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार 22 लाख मतदाता मृत पाए गए, वहीं 36 लाख लोग राज्य से बाहर चले गए या सत्यापन के दौरान नहीं मिले जबकि 7 लाख ऐसे मतदाता थे जिनके नाम दो जगह दर्ज थे। ऐसे कुल 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं।


चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को लेकर कई राजनीतिक दलों, नेताओं और सामाजिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिहार चुनाव से ठीक पहले इस तरह से बड़े पैमाने पर नाम हटाना संदेहास्पद है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश जारी किया और कहा कि 22 अगस्त को फिर से सुनवाई होगी। कोर्ट ने आयोग से यह भी कहा है कि वह जिला स्तर से आदेश के पालन की विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत करें।