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OM Birla DM Controversy: स्पीकर ओम बिरला के साथ DM के बर्ताव पर विवाद गहराया, लोकसभा सचिवालय ने मांगा जवाब

OM Birla DM Controversy: लोक सचिवालय की चिट्ठी में खुलासा हुआ है कि ओम बिरला के मसूरी दौरे के दौरान डीएम को कई बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने न तो कॉल रिसीव किए और न ही प्रोटोकॉल का पालन किया। इसी को लेकर अब विवाद गहराता जा रहा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 03 Jul 2025 11:16:10 AM IST

OM Birla DM Controversy

ओम बिरला के मसूरी दौरे पर विवाद - फ़ोटो GOOGLE

OM Birla DM Controversy:  हाल ही में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला मसूरी गए थे, लेकिन वहां उन्हें मिलने वाले प्रशासनिक समर्थन को लेकर प्रोटोकॉल विभाग ने सवाल उठाए हैं। आरोप है कि डीएम साविन बंसल ने स्पीकर के दौरे में आवश्यक प्रोसेक्शन, सवारी इंतजाम, कॉल रिस्पॉन्स आदि में लापरवाही बरती है। साथ ही जब बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई, तब जवाब नहीं आया। यहां बताया जा रहा है कि किसी कार्यक्रम की सूचना तक समय पर नहीं दी गई, जिससे टीम को तैयारी का समय नहीं मिला।


दरअसल, प्रोटोकॉल विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने एक चिट्ठी लिखा हैं, जिसमें कहा गया है कि स्पीकर के दौरे के दौरान डीएम ने नियमों का पालन नहीं किया, और आवश्यक सहयोग कहीं भी नहीं दिखा। कहा गया कि “उन्हें जो मदद चाहिए थी, वो भी स्वयं नहीं मिली”। बाद में जब स्पीकर कार्यालय ने खुद मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क किया, तब जाकर डीएम टीम सक्रिय हुई।


उत्तराखंड सरकार ने खुद इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए डीएम से तुरंत स्पष्टीकरण मांगा है। लोक सचिवालय से भी पत्र भेजा गया, जिसमें साफ कहा गया है कि डीएम ने कई बार कॉल रिस्पॉन्स तक नहीं किया था। स्थिति अब केंद्र सरकार के सिरे पर पहुंच चुकी है। इस मामले में डीएम साविन बंसल का कहना है, “इस मामले पर चर्चा हो चुकी है, मैं और अधिक कुछ बता नहीं सकता।” उन्होंने सहमति दी कि बातचीत हुई है, लेकिन बाकी विवरण फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया जा सकते।


यह पहली बार नहीं है जब अधिकारियों को प्रोकोल मैनेजमेंट के कारण आलोचना झेलनी पड़ी हो। उदाहरणस्वरूप, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के महाराष्ट्र दौरे के दौरान भी कहा गया था कि “प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ था“, जिससे उस समय भी गलाफती हो चुकी थी। प्रोटोकॉल विभाग डीएम का स्पष्टीकरण मिलने तक इंतज़ार करेगा, उसके बाद जांच के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। क्या डीएम भूमिका से हटाए जाएंगे, नोटिस जारी किया जाएगा या कोई सुधारात्मक प्रशिक्षण दिया जाएगा। केंद्र–राज्य स्तर पर आलोचना बढ़ने से विभागीय प्रक्रिया भी तेज हो सकती है।