Janta curfew ;जनता कर्फ्यू की कहानी: जब पूरे देश में गूंज उठी ताली और थाली की आवाज

Janta curfew ;22 मार्च 2020 का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया। इस दौरान लोगों ने स्वेच्छा से अपने घरों में रहकर कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने की दिशा

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 22 Mar 2025 04:59:06 PM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Janta curfew ; आज से ठीक पांच साल पहले, 22 मार्च को भारत की सड़कों पर एक अनोखा सन्नाटा पसरा था। यह दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जनता कर्फ्यू लागू किया गया। देशवासियों ने कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्वेच्छा से अपने घरों में रहने का फैसला किया। इस कर्फ्यू के दौरान किसी पर कोई कानूनी पाबंदी नहीं थी, लेकिन फिर भी लोग एहतियात बरतते हुए बाहर नहीं निकले।


जनता कर्फ्यू का मुख्य उद्देश्य लोगों को महामारी की गंभीरता से अवगत कराना और उन्हें सतर्क रहने के लिए प्रेरित करना था। हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि यह कर्फ्यू देशव्यापी लॉकडाउन की पूर्व तैयारी का हिस्सा था, जो इसके ठीक दो दिन बाद 24 मार्च को लागू कर दिया गया।

जब पूरे देश में ताली और थाली गूंज उठी

जनता कर्फ्यू के दौरान एक भावनात्मक और ऐतिहासिक दृश्य सामने आया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान में शाम 5 बजे ताली और थाली बजाने का आह्वान किया, जिसे पूरे देश ने एकजुटता के साथ अपनाया। लोग अपनी बालकनी और छतों पर आकर तालियां, थालियां और शंख बजाने लगे। यह दृश्य न केवल देशवासियों की एकजुटता का प्रतीक बना बल्कि महामारी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संकल्प भी दर्शाया।

कैसे बढ़ता गया लॉकडाउन

जनता कर्फ्यू के बाद, 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की। हालांकि, संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह लॉकडाउन कई चरणों में बढ़ाया गया और कुल 68 दिनों तक चला। यह महामारी नियंत्रण के लिए अब तक के सबसे कठोर कदमों में से एक था, जिसने पूरे देश को बदलकर रख दि

 जनता कर्फ्यू की कहानी: जब पूरे देश में गूंज उठी ताली और थाली की आवाज

आज से ठीक पांच साल पहले, 22 मार्च को भारत की सड़कों पर एक अनोखा सन्नाटा पसरा था। यह दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जनता कर्फ्यू लागू किया गया। देशवासियों ने कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्वेच्छा से अपने घरों में रहने का फैसला किया। इस कर्फ्यू के दौरान किसी पर कोई कानूनी पाबंदी नहीं थी, लेकिन फिर भी लोग एहतियात बरतते हुए बाहर नहीं निकले।जनता कर्फ्यू का मुख्य उद्देश्य लोगों को महामारी की गंभीरता से अवगत कराना और उन्हें सतर्क रहने के लिए प्रेरित करना था। हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि यह कर्फ्यू देशव्यापी लॉकडाउन की पूर्व तैयारी का हिस्सा था, जो इसके ठीक दो दिन बाद 24 मार्च को लागू कर दिया गया।

जब पूरे देश में ताली और थाली गूंज उठी

जनता कर्फ्यू के दौरान एक भावनात्मक और ऐतिहासिक दृश्य सामने आया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान में शाम 5 बजे ताली और थाली बजाने का आह्वान किया, जिसे पूरे देश ने एकजुटता के साथ अपनाया। लोग अपनी बालकनी और छतों पर आकर तालियां, थालियां और शंख बजाने लगे। यह दृश्य न केवल देशवासियों की एकजुटता का प्रतीक बना बल्कि महामारी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संकल्प भी दर्शाया।

कैसे बढ़ता गया लॉकडाउन

जनता कर्फ्यू के बाद, 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की। हालांकि, संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह लॉकडाउन कई चरणों में बढ़ाया गया और कुल 68 दिनों तक चला। यह महामारी नियंत्रण के लिए अब तक के सबसे कठोर कदमों में से एक था, जिसने पूरे देश को बदलकर रख दि