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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Nov 2025 11:42:55 AM IST
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RK Singh controversial statement : भाजपा के पूर्व नेता और केंद्र में मंत्री रह चुके आर.के. सिंह इन दिनों अपने बयानों को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। पार्टी से निष्कासन और उसके बाद दिए गए उनके इस्तीफे ने पहले ही राजनीतिक हलचल बढ़ा दी थी, मगर अब मीडिया के सामने दिए जा रहे उनके विवादित बयान नई बहस को हवा दे रहे हैं। आर.के. सिंह जिस तरह की भाषा और आक्रामक अंदाज़ अपनाए हुए हैं, उसे भाजपा समर्थक समेत विपक्ष भी बेहद आपत्तिजनक बता रहा है।
दरअसल, भाजपा से बाहर होने के बाद आर.के. सिंह लगातार प्रेस से बात कर रहे हैं और पार्टी नेतृत्व पर निशाना साध रहे हैं। इस दौरान उनका गुस्सा कई बार जितना राजनीतिक रहा है, उतना ही निजी और तल्ख भी। उनका ताज़ा बयान उस समय चर्चा में आया जब उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि “कोई डरना चाहे तो वह मुझे डरा ले, मैं डरने वाला नहीं हूं।” इसके बाद उन्होंने कुछ ऐसे शब्दों और आरोपों का इस्तेमाल किया, जिन्हें लेकर विवाद और तेज हो गया।
आर.के. सिंह ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति उन्हें डराने की कोशिश करेगा, तो डरा लें मैं उस सा***का मैं आंखों में उंगली डालकर आंख निकाल देंगे। उन्होंने कहा, “कोई मुझे डराना चाहेगा, तो दो उंगली उसके आंखों में डाल दूंगा और उंगली टेढ़ा कर उसकी आंख निकाल लूंगा। ये लोग मुंह छुपाने तक की जगह नहीं पाएंगे। मैं दूसरे तरह का आदमी हूं।” उनके इस बयान में कई ऐसे शब्द भी शामिल थे जिन्हें टीवी चैनलों ने बीप कर प्रसारित किया।
उनका यह आक्रामक तेवर देखकर राजनीतिक हलकों में कई तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। विपक्ष इसे भाजपा के भीतर ‘बढ़ती असहमति और विद्रोह’ का परिणाम बता रहा है, तो वहीं भाजपा ने आधिकारिक तौर पर इन बयानों से खुद को अलग बताते हुए कहा है कि पार्टी की कार्यशैली अनुशासन में विश्वास रखती है और ऐसे बयान बिल्कुल अस्वीकार्य हैं।
आर.के. सिंह के इस बयान के बाद राजनीति में यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर उनके मन में यह नाराज़गी क्यों है और किस वजह से वे लगातार इस तरह के हमलावर बयान दे रहे हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी बिहार की सत्ता-समीकरणों में उन्हें अपने लिए कोई भूमिका न दिखाई देने की निराशा शायद इस आक्रामकता की वजह है। वहीं कुछ राजनीतिक जानकार इसे उनके व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से जोड़कर देख रहे हैं।
भाजपा के भीतर भी कुछ नेताओं ने बिना नाम लिए कहा है कि राजनीति में व्यक्तिगत हमले और इस तरह की भाषा किसी भी दल या लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। भाजपा छोड़ने के बाद आर.के. सिंह आखिर किस राजनीतिक दिशा में आगे बढ़ेंगे, इस पर भी सस्पेंस बना हुआ है। अभी तक उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि आगे वे किसी पार्टी में शामिल होंगे या स्वतंत्र रूप से राजनीतिक सफर जारी रखेंगे।
आर.के. सिंह पहले भी कई बार अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहे हैं, लेकिन इस बार मामला बिल्कुल अलग है क्योंकि एक वरिष्ठ नेता द्वारा इतने तीखे और हिंसात्मक शब्दों का इस्तेमाल राजनीतिक मर्यादा की सीमा को पार करता दिख रहा है। सोशल मीडिया पर लोग उनकी आलोचना भी कर रहे हैं और कई लोग यह पूछ रहे हैं कि राजनीति में भाषाई मर्यादा की रेखा कहां खींची जाएगी।
बहरहाल, आर.के. सिंह के इस बयान ने राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है। भाजपा उनका इस्तीफा और निष्कासन एक 'बंद अध्याय' बताकर आगे बढ़ना चाहती है, जबकि विपक्ष इस घटना को भाजपा के अंदरूनी असंतोष का प्रतिबिंब बताने में जुटा है। वहीं, आर.के. सिंह के रूख से यह साफ है कि वे फिलहाल पीछे हटने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं। उनके आगामी बयान और कदम आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में और नए रंग भर सकते हैं।