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Bihar Politics : प्रशांत किशोर ने अचानक रद्द की प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया के तीखे सवालों से बचने की चर्चा तेज; आखिर क्या है वजह

प्रशांत किशोर ने अचानक अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी, जिससे बिहार की सियासत में नई चर्चा शुरू हो गई है। क्या वे मीडिया के कठोर सवालों से बचे या यह किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा है?

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 16 Nov 2025 10:24:12 AM IST

Bihar Politics : प्रशांत किशोर ने अचानक रद्द की प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया के तीखे सवालों से बचने की चर्चा तेज; आखिर क्या है वजह

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Bihar Politics : बिहार की राजनीति में इन दिनों हर हलचल सुर्खियाँ बटोर रही है। चुनाव नतीजों के बाद राजनीतिक दलों से लेकर रणनीतिकारों तक सभी अपने-अपने स्तर पर फैसले ले रहे हैं। इस बीच जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने अचानक अपनी निर्धारित प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी, जिसके बाद सियासी गलियारे में कई तरह की चर्चाएँ तेज हो गई हैं। इसमें यह भी सवाल आ रहा है कि क्या PK वास्तव में मीडिया के सवालों से बच रहे थे? या फिर इसके पीछे कोई नई राजनीतिक गणित तैयार हो रही है? चलिए पूरा मामला विस्तार से समझते हैं।


प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों थी महत्वपूर्ण?

बिहार चुनाव के नतीजों के बाद यह पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली थी जिसमें प्रशांत किशोर अपनी राजनीतिक यात्रा, चुनावी परिणामों, जन सुराज की स्थिति और आगे की रणनीति पर खुलकर बोलने वाले थे। ऐसे समय में PK की बातों का वजन इसलिए ज्यादा माना जा रहा था क्योंकि वे पिछले दो वर्षों से बिहार में जन सुराज पदयात्रा के आधार पर नया राजनीतिक विकल्प तैयार कर रहे थे। चुनावों में भले ही जन सुराज को बड़ी सफलता नहीं मिली हो, लेकिन PK की लोकप्रियता और पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रेस कॉन्फ्रेंस यह संकेत देती कि PK भविष्य में चुनावी राजनीति में कितना सक्रिय रहेंगे। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक 1 घंटे पहले इसे रद्द किए जाने ने राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी।


प्रशांत किशोर ने क्या कहा?

प्रशांत किशोर की टीम ने बयान जारी करते हुए कहा कि "कुछ अचानक परिस्थितियों और मीडिया के गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस स्थगित की जाती है। नई तारीख की जानकारी जल्द दी जाएगी। इस एक पंक्ति के बयान ने नई बहस छेड़ दीक्या PK वास्तव में मीडिया के तीखे सवालों से बचना चाहते थे? क्या पत्रकारों ने उनसे चुनावी नतीजों, जन सुराज की हार और भविष्य की योजनाओं को लेकर मुश्किल सवाल पूछे? PK की टीम का कहना है कि मीडिया लगातार ‘जन सुराज की हार’, ‘फ्लॉप रणनीति’, और ‘राजनीतिक महत्वाकांक्षा’ जैसे सवाल उछाल रहा था, जिसके कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस का माहौल विवादास्पद हो सकता था।


क्या मीडिया से डर गए PK?

राजनीतिक विरोधी इस मुद्दे पर PK पर तंज कस रहे हैं। उनका कहना है कि जब चुनाव में प्रदर्शन खराब रहा तो PK सवालों का सामना करने से बच रहे हैं। जीत की रणनीति बताने वाले रणनीतिकार अब खुद जवाब देने से कतरा रहे हैं। उन्हें डर है कि पत्रकार उनकी राजनीतिक क्षमता पर सवाल उठाएँगे। हालाँकि PK के समर्थकों का तर्क बिल्कुल अलग है। उनका कहना है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस को रद्द करने की वजह मीडिया के कुछ पक्षपाती सवाल और माहौल को उग्र बनाने वाली भाषा थी। PK हमेशा खुलकर बात करते रहे हैं, ऐसे में मीडिया से डरना उनकी शैली नहीं है। यह संभव है कि वे एक नई बड़ी घोषणा की तैयारी कर रहे हों और चाहते हों कि वह सही समय पर ही सामने आए।


PK की राजनीति में गंभीरता पर क्या असर?

प्रशांत किशोर ने जन सुराज का निर्माण जनता से सीधे संवाद के मॉडल पर किया है। उन्होंने 4000 किलोमीटर से अधिक पैदल यात्रा की, सैकड़ों पंचायतों में संवाद किया, और युवा नेतृत्व को आगे लाने की कोशिश की। लेकिन चुनाव परिणाम उम्मीदों से कम रहे। जन सुराज को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलीं, जिससे उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करने को कुछ विशेषज्ञ नुकसानदेह बता रहे हैं। उनका कहना है कि जब जनता आपसे जवाब चाहती है, तब संवाद से पीछे हटना आपकी छवि पर नकारात्मक असर डालता है। PK को चाहिए था कि वे चुनाव परिणाम और आगे की चुनौतियों पर स्पष्ट रूप से अपनी बात रखते। इससे उनकी राजनीतिक गंभीरता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता।


क्या PK किसी नए गठबंधन या रणनीति की तैयारी में हैं?

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि PK जल्दबाज़ी में कोई बयान नहीं देना चाहते। बिहार में चुनावी हार के बाद विपक्ष बिखरा हुआ है, RJD अंदरूनी संकट से जूझ रहा है,कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है। ऐसे में PK किसी नई राजनीतिक तैयारी में हो सकते हैं। वे पहले भी कह चुके हैं कि “बिहार को नया राजनीतिक विकल्प चाहिए, और जन सुराज उसी दिशा में पहला कदम है।” 


मीडिया और PK का रिश्ता पहले भी सरल नहीं रहा

प्रशांत किशोर हमेशा से अपनी सीधी और बेबाक शैली के लिए जाने जाते रहे हैं। उन्होंने कई बार मीडिया को लेकर कड़े बयान दिए हैं। उनका कहना है कि—कुछ मीडिया हाउस विशिष्ट राजनीतिक पार्टियों के एजेंडे पर चलते हैं। चुनावी कवरेज निष्पक्ष नहीं होता। राजनीतिक सवालों की जगह टीआरपी वाले विवादित सवाल ज़्यादा पूछे जाते हैं। ऐसे में यह संभव है कि PK मीडिया की दिशा देखकर प्रेस कॉन्फ्रेंस को विवाद में बदलने से बचना चाहते हों।


क्या यह PK की रणनीति का हिस्सा है?

कई विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रशांत किशोर एक रणनीतिकार हैं वे किसी भी कदम को बिना सोचे-समझे नहीं उठाते। प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करना भी एक सोची-समझी चाल हो सकती है। राजनीति में अक्सर कहा जाता है “कभी-कभी ख़ामोशी भी रणनीति होती है।”प्रशांत किशोर की अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करने का फैसला बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ गया है।क्या वे मीडिया के सवालों से घबरा गए? क्या चुनावी हार ने उनका आत्मविश्वास हिला दिया? या फिर वे कोई बड़ा राजनीतिक दांव खेलने वाले हैं? फिलहाल इन सवालों का जवाब समय देगा। लेकिन इतना स्पष्ट है कि PK की हर गतिविधि अब पहले से कहीं अधिक राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो चुकी है। उनकी आगामी प्रेस कॉन्फ्रेंस और उससे जुड़ी घोषणाएँ बिहार की राजनीति की दिशा बदल सकती हैं।