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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 15 Nov 2025 12:55:54 PM IST
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BJP Suspension : कटिहार नगर निगम की मेयर उषा अग्रवाल को भारतीय जनता पार्टी ने गंभीर अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने के आरोप में निलंबित कर दिया है। प्रदेश मुख्यालय प्रभारी अरविन्द शर्मा द्वारा जारी पत्र में साफ कहा गया है कि मेयर की हालिया गतिविधियों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचाया है और यह व्यवहार किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।
जारी आदेश के अनुसार, पार्टी ने उषा अग्रवाल को नोटिस भेजते हुए कारण-पृच्छा (शो-कॉज नोटिस) जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि आखिर उन्हें पार्टी से निष्कासित क्यों न किया जाए। इसके लिए मेयर को एक सप्ताह का समय दिया गया है, जिसमें उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी और बताना होगा कि उन्होंने ऐसा कदम क्यों उठाया, जो पार्टी लाइन के खिलाफ माना जा रहा है।
क्या कहा गया है नोटिस में?
नोटिस में लिखा है—“आपकी गतिविधियां पार्टी के विरोध में हैं। ये अनुशासन के दायरे में आता है। पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है। इससे पार्टी को नुकसान हुआ है। अतः निर्देशानुसार आपको पार्टी से निलंबित करते हुए कारण-पृच्छा किया जा रहा है कि आपको पार्टी से क्यों नहीं निष्कासित किया जाए? अतः पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के अंदर आप अपनी स्थिति स्पष्ट करें।”यह स्पष्ट संकेत है कि पार्टी नेतृत्व इस मामले में बेहद सख्त रुख अपनाए हुए है और संगठन अनुशासनहीनता को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
पार्टी में अंदरूनी हलचल
उषा अग्रवाल कटिहार नगर निगम की मेयर हैं और स्थानीय राजनीति में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। लेकिन पिछले कुछ समय से उनके कुछ बयानों और कार्रवाइयों को पार्टी लाइन के खिलाफ माना जा रहा था। सूत्रों के अनुसार, कुछ निर्णयों में उन्होंने संगठन के निर्देशों से अलग रुख अपनाया था, जिसका प्रतिकूल असर स्थानीय राजनीतिक समीकरणों पर पड़ा। बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को पार्टी कार्यकर्ताओं की लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि मेयर अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक रणनीति पर काम कर रही हैं और इससे पार्टी की जनता के बीच छवि प्रभावित हो रही है।
प्रदेश नेतृत्व का सख्त रुख
प्रदेश मुख्यालय प्रभारी अरविन्द शर्मा द्वारा जारी निलंबन आदेश को पार्टी की अनुशासन नीति के तहत एक बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है। बिहार बीजेपी पिछले कुछ महीनों से अनुशासनहीनता पर लगातार कार्रवाई करती आ रही है। चुनावी माहौल में पार्टी संगठन में अनुशासन को सबसे बड़ी प्राथमिकता के रूप में देखा जा रहा है। शर्मा ने कहा कि अनुशासन ही संगठन की ताकत है और कोई भी नेता या पदाधिकारी चाहे कितना बड़ा क्यों न हो, यदि वह पार्टी संविधान और निर्देशों के बाहर जाता है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
उषा अग्रवाल की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब तमाम निगाहें मेयर उषा अग्रवाल पर हैं कि वे इस नोटिस का क्या जवाब देंगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सिर्फ कटिहार की नगर राजनीति तक सीमित नहीं बल्कि प्रदेश संगठन की सख्ती और संदेश का हिस्सा है। यदि मेयर एक सप्ताह में संतोषजनक जवाब देने में विफल रहती हैं, तो संभव है कि पार्टी उन्हें निष्कासित भी कर दे। इससे कटिहार की स्थानीय राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है और नगर निगम के निर्णयों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
बीजेपी की इस कार्रवाई से यह संदेश साफ है कि आने वाले समय में पार्टी अनुशासनहीनता पर और भी कठोर कदम उठा सकती है। मेयर उषा अग्रवाल के राजनीतिक भविष्य का फैसला अब उनकी लिखित सफाई और प्रदेश नेतृत्व के निर्णय पर निर्भर करेगा। कटिहार में इस घटना के बाद राजनीतिक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है, और अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि मेयर क्या जवाब देती हैं और पार्टी आगे क्या कदम उठाती है।