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Success Story: दो बार फेल होने के बाद भी नहीं टूटा हौसला, कठिन संघर्ष कर IAS बनीं रुपल राणा

Success Story: कुछ करने का जज्बा हो, तो कोई भी कठिनाई रास्ता नहीं रोक सकती" यह पंक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है IAS अधिकारी रुपल राणा की जिंदगी पर। जानिए... सफलता की कहानी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Sep 2025 12:37:37 PM IST

Success Story

सफलता की कहानी - फ़ोटो GOOGLE

Success Story:  कुछ करने का जज्बा हो, तो कोई भी कठिनाई रास्ता नहीं रोक सकती" यह पंक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है IAS अधिकारी रुपल राणा की जिंदगी पर। देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC (Union Public Service Commission) परीक्षा में सफलता पाना हर साल लाखों युवाओं का सपना होता है, लेकिन यह मुकाम उन्हीं को मिलता है जो कठिन परिश्रम, अनुशासन और मानसिक दृढ़ता के साथ तैयारी करते हैं। रुपल राणा की यह प्रेरणादायक सफलता कहानी उन सभी युवाओं को रास्ता दिखाती है जो मुश्किल हालातों से हार मान लेते हैं।


दरअसल, उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की रहने वाली रुपल राणा ने अपनी शिक्षा की शुरुआत जेपी पब्लिक स्कूल, बागपत से की थी, जहां उन्होंने दसवीं कक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पिलानी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से की, जो देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक है। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज में दाखिला लिया, जहां वे यूनिवर्सिटी टॉपर बनीं। यह दिखाता है कि शुरुआत से ही उनकी पढ़ाई में रुचि और लगन कितनी गहरी थी।


रुपल के जीवन में सबसे बड़ी व्यक्तिगत त्रासदी तब आई जब उन्होंने बहुत कम उम्र में अपनी मां को खो दिया। यह घटना उनके लिए बेहद भावनात्मक रूप से कठिन थी, लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उनके पिता जसवीर राणा, जो दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) के पद पर कार्यरत थे, और भाई-बहनों ने उन्हें हर कदम पर समर्थन और प्रेरणा दी। रुपल ने भी इस दुख को ताकत में बदलते हुए अपने लक्ष्य की ओर लगातार कदम बढ़ाए।


UPSC परीक्षा की तैयारी में विफल होना आम बात है, और रुपल राणा को भी पहले दो प्रयासों में असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। हर बार उन्होंने अपनी रणनीति को सुधारा, खुद का आत्मविश्लेषण किया और मेहनत को दोगुना कर दिया। आखिरकार, अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने पूरे देश में 26वीं रैंक प्राप्त की और IAS बनने का सपना साकार किया।


उनकी इस सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि सही रणनीति, मजबूत आत्मविश्वास, पारिवारिक सहयोग और दृढ़ निश्चय से कोई भी कठिन परीक्षा जीती जा सकती है। उनकी कहानी विशेष रूप से उन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। आज रुपल राणा न सिर्फ एक सफल IAS अधिकारी हैं, बल्कि वे लाखों युवाओं के लिए आदर्श भी हैं। उनका जीवन यह साबित करता है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और इरादे मजबूत हों, तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।


रुपल राणा की UPSC सफलता यात्रा सिर्फ एक परीक्षा पास करने की कहानी नहीं है, बल्कि यह सपनों, संघर्षों और संकल्पों की मिसाल है। वह हर उस युवा के लिए प्रेरणा हैं, जो जीवन में असफलता से डरते हैं। उनकी कहानी यह सिखाती है कि परिस्थितियां चाहे जितनी भी विपरीत क्यों न हों, यदि मन में जुनून और लगन हो, तो IAS जैसे बड़े लक्ष्य भी हासिल किए जा सकते हैं।