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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 16 Sep 2025 01:26:33 PM IST
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Bihar Medical Colleges: बिहार के युवाओं के लिए एक बेहद खुशी की ख़बर है, खासकर उन छात्रों के लिए जो मेडिकल करियर बनाना चाहते हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने राज्य को शैक्षणिक सत्र 2025‑26 के लिए 430 अतिरिक्त एमबीबीएस सीटें प्रदान की हैं। इस फैसले से हजारों छात्रों को डॉक्टर बनने का रास्ता आसान होगा और अधिक अवसर मिलेंगे।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार सरकारी मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS), पटना को 30 नई सीटें दी गई हैं, जिससे यहाँ की कुल सीट संख्या 120 से बढ़कर 150 हो जाएगी। निजी मेडिकल कॉलेजों में भी सीटों में व्यापक वृद्धि हुई है, जिसमें नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को 50 नई सीटों की मंज़ूरी मिली है, जिससे इसकी कुल सीटें 150 हो गई हैं। मधुबनी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को 100 अतिरिक्त सीटें दी गई हैं। हिमालय मेडिकल कॉलेज को 50 अधिक सीटों का लाभ हुआ है।
इस विस्तार के साथ ही NMC ने बिहार में दो नए मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों को खोलने की अनुमति दी है, जिसमें परमानंदपुर, खगड़िया जिले में एक नया कॉलेज श्यामलाल चंद्रशेखर मेडिकल कॉलेज एंड शहीद प्रभुनारायण मल्टी‑स्पेशलिटी अस्पताल, जहां 100 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला होगा। महाबोधिनगर, गोपालपुर शेरघाटी, गयजी जिले में महाबोधि मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल यहाँ भी 100 नई सीटों की शुरुआत होगी।
इन नए फैसलों के बाद बिहार में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की एमबीबीएस सीटों की कुल संख्या 1420 हो जाएगी, जबकि निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़कर 1750 हुई हैं। इस प्रकार राज्य में कुल 3170 सीटों पर नामांकन संभव होगा। इसका सबसे बड़ा लाभ उन छात्रों को होगा जो हर साल NEET परीक्षा देते हैं लेकिन सीमित सीटों के कारण प्रवेश नहीं मिल पाता। इस विस्तार से छात्र‑छात्राओं को ज़्यादा अवसर मिलेंगे, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों से आने वालों को।
हालाँकि यह निर्णय सकारात्मक है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए कई चुनौतियाँ हैं, जिसमें नए कॉलेजों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, योग्य शिक्षक, प्रयोगशाला एवं अस्पताल सेवाएँ समय पर तैयार होना ज़रूरी होगा। अलग‑अलग जिलों में छात्रों को सुविधाजनक आवास, परिवहन और अध्ययन संसाधन उपलब्ध कराने की ज़रूरत है। निजी कॉलेजों की फीस, प्रवेश प्रक्रियाएँ और छात्रवृत्ति‑नीतियाँ पारदर्शी और सुलभ होनी चाहिए ताकि आर्थिक पिछड़ापन बाधा न बने। सरकारी परिसर और निजी कॉलेजों में प्रशासनिक व्यवस्था एवं गुणवत्ता नियंत्रण बनाए रखना होगा ताकि शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित न हो।