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Patna News: क्यों संकट में है पटना का राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज? वेबसाइट बंद होने से खतरे में मान्यता

Patna News: पटना के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एक बार फिर संकट के दौर से गुजर रहा है। कॉलेज की आधिकारिक वेबसाइट लंबे समय से बंद पड़ी है, जिससे उसकी राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता खतरे में पड़ गई है. जानें...

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 03 Jun 2025 10:00:02 AM IST

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पटना न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Patna News: पटना के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एक बार फिर संकट के दौर से गुजर रहा है। कॉलेज की आधिकारिक वेबसाइट लंबे समय से बंद पड़ी है, जिससे उसकी राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता खतरे में पड़ गई है। नेशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (NCISM), नई दिल्ली के निर्देशों के अनुसार सभी मेडिकल शिक्षण संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर कॉलेज से जुड़ी आवश्यक जानकारियाँ उपलब्ध करानी होती हैं, जैसे—फैकल्टी की जानकारी, पाठ्यक्रम, दाखिला प्रक्रिया, इन्फ्रास्ट्रक्चर, अस्पताल सेवाएं, स्टूडेंट्स की उपस्थिति, इत्यादि।


कॉलेज प्रशासन का कहना है कि वेबसाइट का रखरखाव एक निजी आईटी कंपनी कर रही थी, जिसे लंबे समय से भुगतान नहीं किया गया। इसके चलते कंपनी ने वेबसाइट का संचालन और रखरखाव बंद कर दिया। वेबसाइट के न चलने से कॉलेज की छवि पर असर पड़ा है और छात्रों व अभ्यर्थियों को जरूरी जानकारी नहीं मिल पा रही है। पिछले वर्ष नवंबर में प्राचार्य प्रो. डॉ. संपूर्णानंद तिवारी के सेवानिवृत्त होने के बाद डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया को कार्यकारी प्राचार्य नियुक्त किया गया, लेकिन उन्हें आयुष व स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए हैं। इसी कारण कॉलेज के अनेक जरूरी कार्य, जिनमें वेतन, वेबसाइट का रखरखाव, संसाधनों की खरीद आदि शामिल हैं, अटके हुए हैं।


एनसीआईएसएम के मानकों के अनुसार हर वर्ष कॉलेजों को अपनी मान्यता का रिन्युअल कराना आवश्यक होता है, जिसके लिए वेबसाइट पर सभी दस्तावेज और रिपोर्ट्स अपलोड करनी होती हैं। वेबसाइट बंद होने के कारण कॉलेज के रजिस्ट्रेशन और मान्यता के नवीकरण में भी बाधा आ रही है। वेबसाइट बंद होने से छात्रों को परीक्षा कार्यक्रम, समय सारणी, प्रवेश प्रक्रिया, स्कॉलरशिप से संबंधित जानकारी आदि नहीं मिल पा रही है। वहीं कॉलेज से जुड़े चिकित्सकों को भी प्रशासनिक सूचना और मार्गदर्शन में कठिनाई हो रही है।


शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति आयुर्वेदिक शिक्षा की साख को प्रभावित कर सकती है। अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो कॉलेज की मान्यता रद्द भी की जा सकती है, जिससे यहां अध्ययनरत सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में लटक जाएगा। कॉलेज प्रशासन ने बताया कि इस संबंध में आयुष विभाग को कई बार पत्राचार किया गया है। विभाग से निर्देश और आर्थिक स्वीकृति मिलने की प्रतीक्षा की जा रही है। साथ ही वेबसाइट सेवा फिर से बहाल करने के लिए वैकल्पिक प्रयास भी किए जा रहे हैं।


राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, पटना जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की इस तरह की समस्याएं आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। राज्य सरकार और आयुष विभाग को जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर इस संकट का समाधान करना चाहिए।