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SVU raid : रिटायरमेंट से पहले करोड़ों जमा करने में लगे हुए थे उत्पाद अधीक्षक, उत्पाद दारोग़ा से शुरू हुई थी करोड़ अर्जित करने वाले अनिल आजाद की कैरियर; SVU के भी उड़ें होश

बिहार में SVU ने उत्पाद अधीक्षक अनिल कुमार आजाद के ठिकानों पर छापेमारी की, करोड़ों की संपत्ति जब्त, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जांच जारी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 24 Nov 2025 09:08:44 AM IST

SVU raid : रिटायरमेंट से पहले करोड़ों जमा करने में लगे हुए थे उत्पाद अधीक्षक, उत्पाद दारोग़ा से शुरू हुई थी करोड़ अर्जित करने वाले अनिल आजाद की कैरियर; SVU के भी उड़ें होश

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SVU raid : बिहार की विशेष निगरानी इकाई (SVU) ने शनिवार को उत्पाद अधीक्षक अनिल कुमार आजाद के खिलाफ व्यापक कार्रवाई करते हुए पटना, जहानाबाद और औरंगाबाद स्थित उनके चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह तलाशी करीब सात घंटे तक चली, जिसमें टीम ने दस्तावेज खंगाले, परिजनों से पूछताछ की और नोट गिनने की मशीन भी मंगवाई। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि अनिल आजाद के पास पांच करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है, जबकि शिकायत में उनके पास 1.58 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप लगाया गया था।


SVU ने कहा है कि जब्त सबूतों के मूल्यांकन के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। छापेमारी के दौरान अनिल आजाद और उनकी पत्नी माधुरी देवी के नाम पर कुल 10 प्लॉट मिलने का दावा किया गया है। इसके अलावा लगभग 28 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक और बीमा में 1.54 करोड़ रुपये का निवेश, बैंक खातों में लगभग 48 लाख रुपये और करीब 35 लाख रुपये की ज्वेलरी बरामद की गई। टीम को तीन बैंक लॉकर भी मिले हैं, जिनकी तलाशी बाद में की जाएगी।


तलाशी के दौरान दस्तावेज, बैंक पासबुक, संपत्ति के कागजात और इलेक्ट्रॉनिक डेटा कब्जे में लिया गया। SVU ने कहा कि यह जांच भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 13(1)(b) और 13(2) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 61(2)(a) के तहत की जा रही है। FIR में आरोप लगाया गया है कि सरकारी सेवा में रहते हुए आजाद ने अपनी ज्ञात आय से अधिक संपत्ति अर्जित की।


अनिल आजाद की रिटायरमेंट में केवल दो महीने बाकी हैं। छापेमारी के समय उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई साजिश के तहत की जा रही है। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद में अपने कार्यकाल के दौरान 25 अवैध स्प्रिट फैक्ट्रियों को बंद करने के कारण स्प्रिट माफियाओं ने नेताओं की साठगांठ से उन्हें फंसाने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी कहा कि वे पूरी तरह जांच में सहयोग कर रहे हैं और स्वयं को निर्दोष साबित करेंगे।


अनिल आजाद मूल रूप से जहानाबाद जिले के सुमेरा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने 1991 में उत्पाद दरोगा के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और उनकी पहली पोस्टिंग बेतिया में हुई। 1999 से 2002 तक पटना में तैनाती के दौरान उन्होंने स्प्रिट माफिया असलम खान की पत्नी मुन्नी खातून की गिरफ्तारी के बाद सुर्खियां बटोरीं। इसके बाद वे इंस्पेक्टर बने और नालंदा, पूर्णिया, मधुबनी, समस्तीपुर और नवादा में तैनात रहे। लगभग 20 महीने पहले उनकी पोस्टिंग औरंगाबाद में उत्पाद अधीक्षक के रूप में हुई थी।


अनिल आजाद के खिलाफ यह कार्रवाई प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। अधिकारियों का कहना है कि भ्रष्टाचार रोकने और सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति पर निगरानी रखने के लिए SVU की कार्रवाई समय पर और सटीक है। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक इसे बिहार में भ्रष्टाचार नियंत्रण के संकेत के रूप में देख रहे हैं।


हालांकि, अनिल आजाद का यह कहना कि उन्हें फंसाया जा रहा है, स्थानीय प्रशासन और SVU के लिए चुनौती बन सकता है। जांच टीम ने बताया कि उनकी संपत्ति और बैंक खातों के दस्तावेजों की विस्तृत समीक्षा की जाएगी, जिससे यह स्पष्ट होगा कि संपत्ति उनकी वैध आय के अनुरूप है या नहीं। इसके अलावा, तीन बैंक लॉकरों की तलाशी के बाद और अधिक वित्तीय जानकारी सामने आ सकती है।


विशेष निगरानी इकाई ने पिछले कई वर्षों में कई बड़े भ्रष्टाचार मामलों में कार्रवाई की है और बिहार में इसकी छवि सख्त और निष्पक्ष जांच के लिए जानी जाती है। इस मामले में भी यह देखा जाएगा कि क्या कार्रवाई समय पर रिटायर होने वाले सरकारी अधिकारी के खिलाफ सही रूप में हुई है या इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।


इस बीच, स्थानीय लोगों में भी इस मामले को लेकर उत्सुकता और चर्चा का माहौल है। कई लोग मान रहे हैं कि यदि सरकारी अधिकारी अपनी सेवाकाल में ईमानदारी से कार्य करें और भ्रष्टाचार को रोकें, तो उन्हें हर स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए। वहीं, भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी अधिकारी को बिना जांच के बरी करना न्याय के खिलाफ माना जाएगा।


अनिल आजाद के कार्यकाल के दौरान औरंगाबाद में अवैध स्प्रिट फैक्ट्रियों को बंद कराने की चर्चा भी अब राजनीतिक और प्रशासनिक चर्चाओं का हिस्सा बन चुकी है। माना जा रहा है कि इस कार्रवाई के पीछे राजनीतिक दृष्टिकोण भी काम कर सकता है, लेकिन SVU की कार्रवाई पूरी तरह कानूनी और जांच आधारित मानी जा रही है।


जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि अनिल आजाद की संपत्ति उनके ज्ञात आय के अनुरूप है या नहीं। प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में सावधानीपूर्वक और निष्पक्ष जांच आवश्यक है, जिससे किसी भी निर्दोष व्यक्ति को झूठे आरोपों का सामना न करना पड़े और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को कड़ा संदेश जाए।


इस मामले में आगे की कार्रवाई और जांच के परिणाम बिहार प्रशासन और राजनीति दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। विशेष निगरानी इकाई की यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि राज्य में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए किसी भी सरकारी अधिकारी को कानूनी दायित्वों से बाहर नहीं रखा जाएगा।