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Bihar News: सरकारी अस्पताल में दलाली का खेल, इलाज से लेकर प्रमाणपत्र तक के नाम पर वसूली

Bihar News: अगर आप इलाज के लिए मुंगेर सदर अस्पताल आ रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए। यहां अस्पताल परिसर में दलालों का सक्रिय नेटवर्क है, जो मरीजों और उनके परिजनों को गुमराह करते हैं.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 07 Jun 2025 10:37:09 AM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो google

Bihar News: अगर आप इलाज के लिए मुंगेर सदर अस्पताल आ रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए। यहां अस्पताल परिसर में दलालों का सक्रिय नेटवर्क है, जो मरीजों और उनके परिजनों को गुमराह कर निजी क्लिनिकों में भेजने का काम करते हैं। यही नहीं, मेडिकल फिटनेस, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जैसे सरकारी कार्यों के लिए भी मरीजों से अवैध रूप से मोटी रकम वसूली जाती है।


हालांकि सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है और कई आधुनिक सुविधाएं शुरू की गई हैं, लेकिन दलालों की पकड़ अब भी कायम है। इलाज के लिए आए कई मरीज और उनके परिजन दलालों के झांसे में आकर निजी नर्सिंग होम्स में पहुंच जाते हैं, जहां उनसे इलाज के नाम पर हजारों रुपये ऐंठ लिए जाते हैं। जब पैसे खत्म हो जाते हैं, तो मरीज को फिर से सरकारी अस्पताल में छोड़ दिया जाता है।


अस्पताल परिसर में ऐसे दलाल भी सक्रिय हैं, जो मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट, जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र, या अन्य प्रमाण-पत्रों के नाम पर भी लोगों से अवैध वसूली करते हैं। इस गोरखधंधे से न केवल आम जनता परेशान है, बल्कि अस्पताल प्रशासन की भी छवि खराब हो रही है।


वहीं, बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय मुंगेर सदर अस्पताल के दौरे पर पहुंचे। जब पत्रकारों ने दलालों की शिकायतों से जुड़ा सवाल किया, तो मंत्री ने कहा कि सरकार और अस्पताल प्रबंधन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है, लेकिन सबसे जरूरी है कि लोग खुद भी जागरूक रहें। अस्पताल परिसर में कई जगहों पर 'दलालों से सावधान' के पोस्टर लगाए गए हैं, ताकि आमजन को सतर्क किया जा सके।


अस्पताल को दलाल-मुक्त बनाने के लिए कई बार विशेष अभियान चलाए गए, लेकिन इनका प्रभाव अधिक समय तक नहीं टिक पाया। दलालों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि कार्रवाई के कुछ दिन बाद ही वे फिर सक्रिय हो जाते हैं।


अस्पताल प्रशासन को दलालों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए और अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए। हेल्प डेस्क और शिकायत केंद्र: मरीजों की मदद के लिए एक पारदर्शी हेल्प डेस्क और सार्वजनिक शिकायत काउंटर स्थापित किया जाना चाहिए। स्थानीय मीडिया और स्वास्थ्य विभाग को मिलकर गांव-गांव में जाकर लोगों को सरकारी इलाज की प्रक्रिया और दलालों से सावधान रहने के बारे में शिक्षित करना चाहिए।

रिपोर्ट- इम्तियाज खान